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जेल में बंदियों को बीमारियों से जकड़ा, ये बंदिशें पड़ रही भारी

locationसागरPublished: Sep 04, 2018 10:55:23 am

अफसर पाबंदियों का उठा रहे फायदा, कई बंदी मानसिक बीमार, उपचार नहीं मिलने से जान भी गंवाई

Prisoners in prison prisoners get confused with diseases

Prisoners in prison prisoners get confused with diseases

सागर. केंद्रीय जेल में इन दिनों सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। पिछले कुछ महीनों में जेल में सही सलामत हालत में दाखिल कराए गए बंदी मानसिक और कई अन्य गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में आए हैं तो चार से ज्यादा बंदी समय पर उचित उपचार के अभाव में अपनी जान भी गवां चुके हैं। केंद्रीय जेल प्रशासन की मनमानी कार्यशैली बंदियों की जान ले रही है। वहीं भोपाल में सिमी जेल ब्रेक कांड के नाम पर लगाई गई पाबंदियों की आड़ में केंद्रीय जेल में अफसरों की मनमानी जारी है। शनिवार शाम केंद्रीय जेल के एक बैरक की छत से दूसरे बैरक की छत तक बंदी घूमता रहा, लेकिन किसी की नजर तक इस घटनाक्रम पर नहीं थी। यदि बंदी बैरक की छत से गिर जाता तो उसकी जान भी खतरे में पड़ सकती थी। लेकिन इस घटनाक्रम के बावजूद जेल प्रशासन इसे दबाए बैठा रहा और बात बाहर जाने पर अब बंदी के मानसिक रोगी होने की सफाई दी जा रही है।

प्रहरी बेकाबू, सुरक्षा के दावे भी खोखले
पिछले एक साल से केंद्रीय जेल में न तो सुरक्षा व्यवस्था पटरी पर हैं न ही जेल प्रशासन प्रहरियों पर लगाम कस पा रहा है। यही वजह है कि कुछ प्रहरियों की तो जेल अधीक्षक से सीधी तौर पर तनातनी तक हो चुकी है। प्रशासनिक क्षमता का उपयोग कर अधीक्षक राकेश कुमार भांगरे इनमें से कुछ प्रहरियों को बर्खास्त करा चुके हैं तो कुछ मामलों में अभी जांच लंबित हैं। व्यवस्था में पारदर्शिता न होने का ही परिणाम है कि जेल के पिछले हिस्से में निर्माणाधीन सुरक्षा दीवार की नींव खुदाई के दौरान पुरानी दीवार ढह गई थी और पूरी जेल की सुरक्षा खतरे में पड़ गई थी।

प्रताडऩा और मानसिक दबाव बिगाड़ रहा मर्ज
केंद्रीय जेल में बंदियों की संख्या क्षमता से लगातार दोगुनी है। एेसे में बैरकों में भी तय से कहीं अधिक बंदियों को रखा जाता है। प्रहरियों की संख्या सीमित होने से पुराने व हार्डकोर बदमाश जेल में नई आमद पर दबाव बनाकर उन्हें प्रताडि़त करते हैं। उनसे अनावश्यक काम कराया जाता है और कई बार तो उन्हें शारीरिक रूप से भी प्रताडि़त किया जाता है। पूर्व में भी केंद्रीय जेल से इस तरह की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। शारीरिक प्रताडऩा व मारपीट से दिमागी संतुलन गड़बड़ाने के कारण एक बंदी को उपचार के लिए भोपाल रेफर किया गया था। तब उसके परिजनों ने इसकी शिकायतें भी जिला प्रशान से लेकर जेल मुख्यालय तक की थीं।

समय पर नहीं मिल रहा उचित इलाज
क्षमता से अधिक बंदियों को रखे जाने से उपचार व्यवस्था भी ठप पड़ी है। जेल बैरक के बरामद में संचालित ओपीडी में केंद्रीय जेल के डॉक्टर केवल गोली-दवा देते हैं। यहां जांच या अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने से मरीजों को मेडिकल कॉलेज स्थित जेल वार्ड में भर्ती कराना होता है। लेकिन जेल प्रशासन बार-बार बंदियों को लाने-ले जाने की असुविधा से बचने के चक्कर में तकलीफ सामने आने पर अगले दिन सुबह ही बीएमसी पहुंचाता था। केंद्रीय जेल में पिछले एक साल में समय पर उचित उपचार नहीं मिल पाने से दो बंदी अपनी जान गवां चुके हैं, लेकिन इन्हें भी जेल प्रशासन द्वारा सामान्य दर्शाते हुए दबा दिया गया।

केंद्रीय जेल में सब ठीक है। जो बंदी रविवार को महिला बैरक की छत पर चढ़ा था वह भी मानसिक रोगी है। उसका उपचार चल रहा है। अवकाश के कारण उसे मंगलवार को बीएमसी में भर्ती कराया जाएगा। बंदियों पर किसी तरह का दबाव नहीं डाला जा रहा।
मदन कमलेश, उप अधीक्षक

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