सागर

रेलवे में निजीकरण और निगमीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

एससीएसटी रेलवे एम्पलाइज एसोसिएशन ने पूना पैक्ट दिवस पर किया प्रदर्शन

सागरSep 24, 2020 / 08:03 pm

anuj hazari

Protests against privatization and corporatization in railways

बीना. रेलवे में आउटसोर्स और निजीकरण करने की जो प्रक्रिया शुरू की गई है उसके विरोध में एससीएसटी रेलवे एम्पलाइज एसोसिएशन ने पूना पैक्ट दिवस पर प्रदर्शन कर विरोध जताया और राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपे। ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि भारतीय रेलवे में पहले सफाई कार्य को आउटसोर्स के माध्यम से शुरू किया गया, जिसके कारण रेलवे में सफाईकर्मियों के पद खत्म हो गए और उसके बाद अब धीरे-धीरे अन्य कामों को भी निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। जिसके कारण रेलवे में कैडर जो कभी लगभग १६ लाख कर्मचारियों का था वह घटकर अब मुश्किल से १३ लाख रह गया है। इसके बाद कुछ रेलवे स्टेशनों का निजीकरण कर दिया गया है फिर उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण के आदेश दिए हैं। अब कुछ टे्रनों को निजी ऑपरेटर्स के हाथों में देने का निर्णय लिया गया है तथा पचास प्रतिशत रिक्तियां समाप्त कर दी गई हैं। धीरे-धीरे पूरी रेलवे का निजीकरण किया जा रहा है, जिसका सीधा असर एससीएसटी वर्ग के रोजगार पर पड़ रहा है। क्योंकि निजी क्षेत्र में इन वर्गों का आरक्षण नहीं है। दलित वर्ग के अधिकारों को लेकर डॉ. भीमराव आंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच समझौता हुआ है जिसे पूना पैक्ट कहा गया है, जिसके बाद पूना पैक्ट दिवस पर प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन करने वालों में अध्यक्ष आरपी लाल, सचिव दामोदर करोसिया, नर्मदा प्रसाद, दिनेश कुमार, संतोष कुमार, अनिल कुमार, नरेन्द्र जाटव, सीएल मीणा, परमानंद रायकवार, दयाचंद्र, डीसी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
यह हैं मुख्य मांगे
मुख्य मांगें रेलवे में निजीकरण और निगमीकरण समाप्त करने के लिए निर्णय को वापस लिया जाए, रेलवे में पचास प्रतिशत रिक्त पदों को समाप्त करने के निर्णय को वापस लिया जाए, निजी क्षेत्र व न्यायपालिका में आरक्षणलागू करने ज्यूडिशियल सर्विसेस का गठन करने, वर्ष २०११ की जनगणना के अनुसार एससीएसटी वर्ग का आरक्षण क्रमश: १७ व ९ प्रतिशत करने, भारत में समान शिक्षा नीति लागू करने, पदोन्नति में आरक्षण को सुरक्षित करने के लिए ११७ वां संविधान संशोधन विधेयक पास करने, पूना पैक्ट शत-प्रतिशत लागू करने की मांग शामिल है।

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