आषाढ़ के बाद सावन महीने में भी मूसलाधार बारिश का इंतजार, आज हल्की बारिश की संभावना
सागर. जुलाई के 15 दिन बीत जाने के बाद भी
मानसून जोर नहीं पकड़ पा रहा है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, देश का
मानसून पूरी तरह बिगड़ गया है, जिसका कारण है
मानसून का रुख बदल लेना। वैज्ञानिकों की मानें तो
मानसून बरसाने वाली रेखा यानी द्रोणिका का रुख सामान्य स्थान बंगाल की खाड़ी से उत्तर-पश्चिम की ओर से उत्तर की तरफ खिसक गया है। इससे
मानसून देरी के साथ बूंदाबांदी से ही संतोष करना पड़ रहा है। शहर में सोमवार को भी हल्की बूंदा-बांदी हुई। पिछले 24 घंटे के दौरान शहर में 28.2 मिमी बारिश दर्ज की गई। अधिकतम तापमान 29.8 और न्यूनतम तापमान 21.6 डिग्री सेल्सियस रहा। मौसम विभाग के अनुसार शहर में मंगलवार को भी बूंदा-बांदी होगी।
तीन साल से अरब सागर का सिस्टम भी है कमजोर
प्रदेश में 25 मई से प्री-
मानसून के साथ मौसम बदलने लगता है। 10 जून के आसपास
मानसून दे देता है। इस बार इस बदलाव की शुरुआत नवतपा में झमाझम के साथ हुई, लेकिन इसके बाद पैटर्न में कुछ इस तरह का बदलाव आया कि मानसूनी बादलों ने पश्चिमी मप्र से मुंह मोड़ लिया। चौंकाने वाली बात यह है कि तीन साल से अरब सागर का सिस्टम भी कमजोर पड़ रहा है, इस बार तो मुंबई से आगे ही नहीं निकल सका।
तीन सिस्टम से बारिश होती रही है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आने वाली नमी पूरे देश को तरबतर करती है। इसके तीन कारण हैं-
-एक द्रोणिका बंगाल की खाड़ी से पश्चिम में राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों तक बनती है, इसकी दिशा हमेशा दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर होती है। बारिश इसी द्रोणिका के इर्द-गिर्द होती है, मानसूनी बादल इसी लाइन पर चलते हुए पूरे देश में बरसते हैं।
-गुजरात-सौराष्ट्र के ऊपर एक कम दबाव का क्षेत्र बना रहता है। इसके प्रभाव से बारिश होती है। यह क्षेत्र अरब सागर और खाड़ी दोनों ओर से नमी लेता है।
-पश्चिम घाट से केरल तक एक लाइन होती है, जिससे दक्षिण-पश्चिम के इलाकों में मानूसन बरसता है।