फंड की कमी की इस बात से हो रही पुष्टि
शुरुआत में सिंचाई विभाग से एक ही डीपीआर बनवाई गई थी लेकिन बाद में दो अलग-अलग डीपीआर मांगी गईं। इसके बाद जिले से डेढ़ और दो मीटर जलस्तर बढऩे के हिसाब से डीपीआर बनाई गईं। बांध में गेट लगाकर डेढ़ मीटर का जलस्तर बढऩे की डीपीआर इसलिए बनवाई गई ताकि भूअर्जन में राज्य शासन को एक साथ ज्यादा राशि खर्च न करना पड़े।
स्वीकृति के बाद लगेगा दो साल का समय
राजघाट फेज-२ के प्रस्ताव को केबिनेट से स्वीकृति मिलने के बाद काम पूरा होने में करीब दो सालों का समय लग सकता है। फस्र्ट फेज में विभाग को चार साल का समय लगेगा जिसमें भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया सबसे ज्यादा जटिल रही थी। सूत्रों की माने तो फेज-२ में भी भूमि अधिग्रहण में ही प्रशासन को मुसीबत का सामना करना पड़ेगा।
डेढ़ गुना बढ़ जाएगा जलस्तर
राजघाट बांध का अधिकतम जलस्तर ५१५ मीटर है। स्पिल-वे में दो मीटर के हिसाब से गेट लगने पर जलस्तर ५१७ मीटर हो जाएगा। बांध की वर्तमान अधिकतम भराव क्षमता ६२.७० एमसीएम है जो फेज-२ में ९६ एमसीएम पहुंचने की बात की जा रही है। इस हिसाब से फेज-२ के बाद बांध की जल भराव क्षमता डेढ़ गुना हो जाएगी।