एजेंसी अपनी सहूलियत के लिए डुबा रही निगम
तय गाइडलाइन के मुताबिक कचरा के यूजर चार्ज के बिल रैमकी को ही जनरेट करके उपभोक्ताओं तक पहुंचाने हैं लेकिन एजेंसी ने एक बार भी बिल वितरित नहीं किए। रैमकी अब अपनी सहूलियत के लिए कचरा के बिल दूसरे तरीके से जारी करवाने की फिराक में है। इसके विपरीत अपना पैसा निगम प्रशासन से हर दो से तीन महीनों में वसूलता रहा। जानकारी के मुताबिक एजेंसी निगम प्रशासन से अब तक 10 से 12 करोड़ की राशि वसूल चुका है और बकाया राशि के लिए भी समय-समय पर दबाव बनाता रहता है।
तीन साल बाद आया सर्वे का होश
निगम प्रशासन के पास शहर के उपभोक्ताओं का सही डॉटा नहीं है, यह बात शुरुआत में ही सामने आ गई थी लेकिन एजेंसी बिलों की प्रिंटिंग और उनके वितरण से बचने के लिए मामले को लंबे समय तक टालती आई। इसके मामले में रैमकी से ज्यादा लापरवाही निगम प्रशासन की सामने आ रही है जिसने यूजर चार्ज की वसूली पर ध्यान नहीं दिया और इधर एजेंसी को करोड़ों रुपए का भुगतान भी करता रहा।