scriptरंगकर्मियों ने ‘गुल्ली डंडा’ नाटक से बताई दोस्ती और उसके मायने | rangkarm tnatak Gulli Danda munshi premchand | Patrika News

रंगकर्मियों ने ‘गुल्ली डंडा’ नाटक से बताई दोस्ती और उसके मायने

locationसागरPublished: Sep 07, 2018 09:41:36 am

मेहताब आट्र्स सोसायटी चंडीगढ़ द्वारा किया गया नाटक का मंचन

rangkarm tnatak Gulli Danda munshi premchand

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सागर. भारतीय समाज में अधिकतर लोग कभी भाषा के नाम पर, कभी रंग, जात-पात और ओहदे के नाम पर एक-दूसरे से भेदभाव करते हैं। पर इन सब बातों से अंजान होता है बचपन और बचपन की दोस्ती। बचपन में बच्चा जातपात, अमीरी-गरीबी, छूआ-छूत हर तरह के भेदभाव से बेखबर होता है। लेकिन वह बड़े होते ही भेदभाव का शिकार हो जाता है क्योंकि शिकारी हमारे समाज में ही होते हैं, वहीं से यह बीमारी जन्म लेती है। बचपन में दोस्ती के मायने को बयां करते हुए गुरुवार को रवीन्द्र भवन में नाटक गुल्ली डंडा का मंचन किया गया। बुंदेली लोक नृत्य व नाट्य कला परिषद् कनेरादेव द्वारा राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव के तहत यह तीसरी प्रस्तुति थी। रंगकर्मियों ने अपनी बेहतरीन अदकारी से दर्शकों को दोस्ती के मायने सिखा दिए।
नाटक गुल्ली डंडा कलम के सिपाही कहे जाने वाले प्रेमचंद द्वारा लिखित गुल्ली डंडा पर आधारित है। मेहताब आट्र्स सोसायटी चंड़ीगढ द्वारा यह प्रस्तुति दी गई। कहानी का नाट्य रूपांतरण अनूप शर्मा और डायरेक्ट डॉ. कुलबीर कौर ने किया है।

दोस्तों के इर्द-गिर्द घूमती है कहानी
ड्डकहानी दो दोस्तों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक-दूसरे के साथ खेलते-कूदते हैं। उनमें खूब लड़ाई भी होती है। लेकिन उन दोनों की दोस्ती दिमाग की बजाय दिल से होती है, इसलिए लड़ाई होने के बाद दोनों अगले दिन फिर से खेलना शुरू कर देते हैं। समय बीतता है, दोनों बड़े होते हैं। इनमें से एक दोस्त इंजीनियर बनता है और दूसरा सफाई कर्मचारी। कहानी में मोड़ तब आता है जब इंजीनियर की ड्यूटी वहीं लगती है, जहां पर उसका दोस्त सफाई कर्मचारी होता है। जब दोस्त इंजीनियर को अपनी दोस्ती के बारे में पता चलता है तो वही बचपन उसे याद आता है और अपने दोस्त को यह समझाने का प्रयास करता है कि हमारे बीच कोई भेदभाव नहीं है। वो बचपन की तरह लड़कर उसको अपना दोस्त बना ही लेता है।

इंटरव्यू: युवा सीधे बड़े पर्दे में आना चाहते हैं नजर
नाटक की डायरेक्टर डॉ. कुलबीर कौर ने बताया कि हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में इस नाटक की प्रस्तुति हो चुकी है। थियेटर के प्रति लोगों का रूझान देखने को मिल रहा है और इस शहर में ही थियेटर को पसंद करने वाले लोग हैं। इसका अंदाजा राष्ट्रीय नाट्य समारोह से ही लगाया है। रवीन्द्र भवन में नाटक को देखने वाले लोग बड़ी संख्या में शामिल रहे हैं। युवा भी इस ओर रूझान दिखा रहे हैं, लेकिन एक परेशानी यह है कि वह सीधे फिल्मों में जाना चाहते हैं, लेकिन एक-एक कदम बढ़ाने से ही सफलता मिलती है। आपको बता दें कि कुलबीर कौर पंजाबी फिल्मों और सीरियल में लीड रोल में काम कर चुकी हैं। वे नवीं मुसीबत, कमली और तूतां जैसे पंजाबी सीरियल में अभिनय कर चुकी हैं।
इन्होंने किया अभिनय: अभिषेक बांसल, सुमनदीप सिंह, मेहताब विर्क, मानव प्रीत, अमन दीप, चरणजीत, चिंकी सग्गु, निखिल, सुमनप्रीत

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