शहर मेंं शनिवार को रंगपंचमी धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर जमकर रंग-गुलाल उड़ा। हुरियारों की टोलियां सुबह से ही सड़कों पर घूमती नजर आई। गली-मोहल्लों में एक-दूसरे पर रंग डालकर लोगों ने त्योहार मनाया।
गुलाब बाबा मंदिर में पानी और फूलों से खेली होली गुलाब बाबा मंदिर में इस बार रंगपंचमी का उत्साह देखते ही बना। महिलाओं ने यहां कुंड में पानी और फूलों की होली खेली, जो आकर्षक का केंद्र रही। यहां सुबह ११.३२ बजे से ११.४५ बजे तक जस भैया द्वारा नाम संकीर्तन, संतोष कलेरे की देशी फागे का आयोजन हुआ। शाम को ४ बजे से ५ बजे तक रंगपंचमी का कार्यक्रम हुआ। साथ ही भक्तों के लिए भंडारे में दाल-बाटी और ठंडाई का भी इंतजाम किया गया। पुरूष पगड़ी और सफेद कपड़ों में नजर आए। वहीं महिलाएं सतरंगी साड़ी में दिखीं। आज बिरज में होली रे रसिया …होली खेलन, आयो सावरिया ….हम हो गई राधा रानी ….की जैसे भक्ति गीत पर महिलाओं ने भक्ति रस में डूब कर नाच किया।
भक्तों ने खेली फूलों की होली बड़ा बाजार स्थित श्रीदेव बांके राघव मंदिर में फाल्गुन मास की चतुर्थी की रात में बांके बिहारी सरकार के साथ भक्तों ने फूलों की होली खेली। 100 किलो फूलों की बारिश की गई। बांके बिहारी सरकार के समक्ष कृष्ण राधा की सजीव झांसी सजाई गई।श्री राधे राधे संकीर्तन मंडल की ओर से कान्हा और गोपी के गीत गाय गए। स्वर लहरों के बीच जब कृष्ण और राधा के स्वरुप ने डांस किया तो मंदर परिसर राधे राधे की घूम से गूंज गया। आधी रात तक चलेभक्ति संगीत में बांके बिहारी सरकार को 56 प्रकार की व्यंजनों का भोग लगाया गया