scriptकचरा निष्पादन प्लांट पर बारिश की लगाम | Rectification of rain on waste execution pont | Patrika News

कचरा निष्पादन प्लांट पर बारिश की लगाम

locationसागरPublished: Sep 06, 2018 02:59:42 pm

Submitted by:

Samved Jain

ट्रेंचिंग ग्राउंड पास रहने वाले रहवासियों की बिगड़ रही हालत, प्लांट की मशीनरी में लगे मकड़ी के जाले, कचरों के ढेर पर नहीं हो रहा है बैक्टीरिया का छिड़काव

कचरा निष्पादन प्लांट पर बारिश की लगाम

कचरा निष्पादन प्लांट पर बारिश की लगाम

सागर. छावनी क्षेत्र के कचरे के निष्पादन के लिए लगाया गया कचरा प्लांट करीब दो माह से बंद पड़ा है। सदर- कैंट क्षेत्र से हर दिन पहुंचने वाले कचरे में ऊंचे-ऊंचे ढेर लग गए हैं और बारिश के कारण इनसे उठ रही दुर्गंध प्लांट के पास रहने वाले मकरोनिया क्षेत्र के लोगों की मुसीबत बनी हुई है।
कचरा कलेक्शन और उसके निष्पादन पर हर महीने ३० से ३५ लाख रुपए छावनी परिषद द्वारा खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन नियमित मॉनिटरिंग के अभाव में व्यवस्था लड़खड़ाई हुई है। छावनी परिषद द्वारा वर्ष २०१७ में दिल्ली की एजेंसी आकांक्षा इंटरप्राइजेज के साथ छावनी क्षेत्र की सफाई और कचरे के निष्पादन के लिए तीन वर्ष का अनुबंध किया था। करीब १० करोड़ रुपए के इस अनुबंध के तहत प्रतिमाह करीब २९ लाख रुपए या इससे ज्यादा राशि का भुगतान किया जाता है। इसके बदले में एजेंसी को डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन, बाजारों व मोहल्लों के पॉइंट से कचरा उठाकर ट्रेंचिंग ग्राउंड पहुंचाने व प्लांट के माध्यम से इसका निष्पादन कर जैविक खाद बनाने की जवाबदारी दी गई थी, लेकिन दो माह से कचरा प्लांट केवल बारिश के नाम पर बंद पड़ा है। पिछले दिनों छावनी के तीन पार्षदों ने रेलवे गेट नंबर २८ के नजदीक कैंट के ट्रेंचिंग ग्राउंड पर कचरा प्लांट ठप पड़े होने और राशि का पूरा भुगतान किए जाने पर आपत्ति जताई थी। पार्षद मौके पर पहुंचे तो दो माह से बंद कन्वेयर और सेपरेशन यूनिट पर कहीं मकड़ी के जाल लगे थे तो कहीं पौधे उग आए थे। प्लांट का संचालन करने वाली एजेंसी और मॉनिटरिंग करने वाले अधिकारी व स्वच्छता अधीक्षक को भी पार्षद विमल यादव, वीरेन्द्र पटेल, मो. जिलानी मकरानी व पार्षद पति हरिओम केशरवानी ने इसकी जानकारी दी, लेकिन एक सप्ताह बीतने पर भी कोई सुध नहीं ली गई।
कचरा गीला होने से नहीं हो पा रहा काम
कचरा प्लांट बंद होने के सवाल पर छावनी के स्वच्छता अधीक्षक आरके उपाध्याय का कहना है कि लगातार हो रही बारिश से कचरा पूरी तरह गीला रहता है। बारिश थमने पर कचरे पर बैक्टीरिया का छिड़काव कर उसे सड़ाने व एक माह बाद उसे प्लांट की मदद से जैविक खाद में बदला जाता है। बरसते पानी में दोनों ही काम नहीं किए जा सकते। गीले कचरे से न तो प्लास्टिक या ठोस कचरे का सेपरेशन हो पाता है न ही वे मिट्टी से अलग होते हैं, इसलिए अभी उनके ढेर लगाए गए हैं। जब बारिश खुलती है तो इन ढेरों पर बैक्टीरिया का छिड़काव कराते हैं, लेकिन यह समय पर्याप्त नहीं होता।

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