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सागर

चंद दिनों में ही जर्जर हो गए टॉयलेट, टोटियां भी गायब

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5 years ago
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सागर. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में रिनोवेट हुए टॉयलेट चंद दिनों में जर्जर होने लगे हैं। मेडिसिन वार्ड में बने टॉयलेट की हालत यह है कि यहां पानी निकासी की सही व्यवस्था नही होने से टॉयलेट के अंदर पानी भर जाता है। उधर कई टॉयलेट में बने नलों से टोटियां भी क्षतिग्रस्त होने लगी है। मैनटेनेंस का काम कर रहा पीडब्ल्यूडी विभाग भी इसकी निगरानी नहीं कर रहा है। काम की गुणवत्ता पर भी ध्यान न दिए जाने से एेसी स्थिति बन रही है। उधर, गल्र्स और बॉयज होस्टल में कराए गए काम में भी गुणवक्ता की अनदेखी की गई है। यहां टेंडर शर्तो के अनुसार मटेरियल का उपयोग नहीं किया गया है। टाइल्स, सीमेंट व निर्माण में उपयोग होने वाला मटेरियल भी टेंडर शर्तों के विपरीत लगाया गया है। लेकिन इसकी मॉनीटरिंग न होने से ठेकेदार मौज में हैं।

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सागर. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में रिनोवेट हुए टॉयलेट चंद दिनों में जर्जर होने लगे हैं। मेडिसिन वार्ड में बने टॉयलेट की हालत यह है कि यहां पानी निकासी की सही व्यवस्था नही होने से टॉयलेट के अंदर पानी भर जाता है। उधर कई टॉयलेट में बने नलों से टोटियां भी क्षतिग्रस्त होने लगी है। मैनटेनेंस का काम कर रहा पीडब्ल्यूडी विभाग भी इसकी निगरानी नहीं कर रहा है। काम की गुणवत्ता पर भी ध्यान न दिए जाने से एेसी स्थिति बन रही है। उधर, गल्र्स और बॉयज होस्टल में कराए गए काम में भी गुणवक्ता की अनदेखी की गई है। यहां टेंडर शर्तो के अनुसार मटेरियल का उपयोग नहीं किया गया है। टाइल्स, सीमेंट व निर्माण में उपयोग होने वाला मटेरियल भी टेंडर शर्तों के विपरीत लगाया गया है। लेकिन इसकी मॉनीटरिंग न होने से ठेकेदार मौज में हैं।

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सागर. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में रिनोवेट हुए टॉयलेट चंद दिनों में जर्जर होने लगे हैं। मेडिसिन वार्ड में बने टॉयलेट की हालत यह है कि यहां पानी निकासी की सही व्यवस्था नही होने से टॉयलेट के अंदर पानी भर जाता है। उधर कई टॉयलेट में बने नलों से टोटियां भी क्षतिग्रस्त होने लगी है। मैनटेनेंस का काम कर रहा पीडब्ल्यूडी विभाग भी इसकी निगरानी नहीं कर रहा है। काम की गुणवत्ता पर भी ध्यान न दिए जाने से एेसी स्थिति बन रही है। उधर, गल्र्स और बॉयज होस्टल में कराए गए काम में भी गुणवक्ता की अनदेखी की गई है। यहां टेंडर शर्तो के अनुसार मटेरियल का उपयोग नहीं किया गया है। टाइल्स, सीमेंट व निर्माण में उपयोग होने वाला मटेरियल भी टेंडर शर्तों के विपरीत लगाया गया है। लेकिन इसकी मॉनीटरिंग न होने से ठेकेदार मौज में हैं।

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सागर. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में रिनोवेट हुए टॉयलेट चंद दिनों में जर्जर होने लगे हैं। मेडिसिन वार्ड में बने टॉयलेट की हालत यह है कि यहां पानी निकासी की सही व्यवस्था नही होने से टॉयलेट के अंदर पानी भर जाता है। उधर कई टॉयलेट में बने नलों से टोटियां भी क्षतिग्रस्त होने लगी है। मैनटेनेंस का काम कर रहा पीडब्ल्यूडी विभाग भी इसकी निगरानी नहीं कर रहा है। काम की गुणवत्ता पर भी ध्यान न दिए जाने से एेसी स्थिति बन रही है। उधर, गल्र्स और बॉयज होस्टल में कराए गए काम में भी गुणवक्ता की अनदेखी की गई है। यहां टेंडर शर्तो के अनुसार मटेरियल का उपयोग नहीं किया गया है। टाइल्स, सीमेंट व निर्माण में उपयोग होने वाला मटेरियल भी टेंडर शर्तों के विपरीत लगाया गया है। लेकिन इसकी मॉनीटरिंग न होने से ठेकेदार मौज में हैं।

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सागर. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में रिनोवेट हुए टॉयलेट चंद दिनों में जर्जर होने लगे हैं। मेडिसिन वार्ड में बने टॉयलेट की हालत यह है कि यहां पानी निकासी की सही व्यवस्था नही होने से टॉयलेट के अंदर पानी भर जाता है। उधर कई टॉयलेट में बने नलों से टोटियां भी क्षतिग्रस्त होने लगी है। मैनटेनेंस का काम कर रहा पीडब्ल्यूडी विभाग भी इसकी निगरानी नहीं कर रहा है। काम की गुणवत्ता पर भी ध्यान न दिए जाने से एेसी स्थिति बन रही है। उधर, गल्र्स और बॉयज होस्टल में कराए गए काम में भी गुणवक्ता की अनदेखी की गई है। यहां टेंडर शर्तो के अनुसार मटेरियल का उपयोग नहीं किया गया है। टाइल्स, सीमेंट व निर्माण में उपयोग होने वाला मटेरियल भी टेंडर शर्तों के विपरीत लगाया गया है। लेकिन इसकी मॉनीटरिंग न होने से ठेकेदार मौज में हैं।

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सागर. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में रिनोवेट हुए टॉयलेट चंद दिनों में जर्जर होने लगे हैं। मेडिसिन वार्ड में बने टॉयलेट की हालत यह है कि यहां पानी निकासी की सही व्यवस्था नही होने से टॉयलेट के अंदर पानी भर जाता है। उधर कई टॉयलेट में बने नलों से टोटियां भी क्षतिग्रस्त होने लगी है। मैनटेनेंस का काम कर रहा पीडब्ल्यूडी विभाग भी इसकी निगरानी नहीं कर रहा है। काम की गुणवत्ता पर भी ध्यान न दिए जाने से एेसी स्थिति बन रही है। उधर, गल्र्स और बॉयज होस्टल में कराए गए काम में भी गुणवक्ता की अनदेखी की गई है। यहां टेंडर शर्तो के अनुसार मटेरियल का उपयोग नहीं किया गया है। टाइल्स, सीमेंट व निर्माण में उपयोग होने वाला मटेरियल भी टेंडर शर्तों के विपरीत लगाया गया है। लेकिन इसकी मॉनीटरिंग न होने से ठेकेदार मौज में हैं।

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सागर. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में रिनोवेट हुए टॉयलेट चंद दिनों में जर्जर होने लगे हैं। मेडिसिन वार्ड में बने टॉयलेट की हालत यह है कि यहां पानी निकासी की सही व्यवस्था नही होने से टॉयलेट के अंदर पानी भर जाता है। उधर कई टॉयलेट में बने नलों से टोटियां भी क्षतिग्रस्त होने लगी है। मैनटेनेंस का काम कर रहा पीडब्ल्यूडी विभाग भी इसकी निगरानी नहीं कर रहा है। काम की गुणवत्ता पर भी ध्यान न दिए जाने से एेसी स्थिति बन रही है। उधर, गल्र्स और बॉयज होस्टल में कराए गए काम में भी गुणवक्ता की अनदेखी की गई है। यहां टेंडर शर्तो के अनुसार मटेरियल का उपयोग नहीं किया गया है। टाइल्स, सीमेंट व निर्माण में उपयोग होने वाला मटेरियल भी टेंडर शर्तों के विपरीत लगाया गया है। लेकिन इसकी मॉनीटरिंग न होने से ठेकेदार मौज में हैं।

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सागर. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में रिनोवेट हुए टॉयलेट चंद दिनों में जर्जर होने लगे हैं। मेडिसिन वार्ड में बने टॉयलेट की हालत यह है कि यहां पानी निकासी की सही व्यवस्था नही होने से टॉयलेट के अंदर पानी भर जाता है। उधर कई टॉयलेट में बने नलों से टोटियां भी क्षतिग्रस्त होने लगी है। मैनटेनेंस का काम कर रहा पीडब्ल्यूडी विभाग भी इसकी निगरानी नहीं कर रहा है। काम की गुणवत्ता पर भी ध्यान न दिए जाने से एेसी स्थिति बन रही है। उधर, गल्र्स और बॉयज होस्टल में कराए गए काम में भी गुणवक्ता की अनदेखी की गई है। यहां टेंडर शर्तो के अनुसार मटेरियल का उपयोग नहीं किया गया है। टाइल्स, सीमेंट व निर्माण में उपयोग होने वाला मटेरियल भी टेंडर शर्तों के विपरीत लगाया गया है। लेकिन इसकी मॉनीटरिंग न होने से ठेकेदार मौज में हैं।

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सागर. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में रिनोवेट हुए टॉयलेट चंद दिनों में जर्जर होने लगे हैं। मेडिसिन वार्ड में बने टॉयलेट की हालत यह है कि यहां पानी निकासी की सही व्यवस्था नही होने से टॉयलेट के अंदर पानी भर जाता है। उधर कई टॉयलेट में बने नलों से टोटियां भी क्षतिग्रस्त होने लगी है। मैनटेनेंस का काम कर रहा पीडब्ल्यूडी विभाग भी इसकी निगरानी नहीं कर रहा है। काम की गुणवत्ता पर भी ध्यान न दिए जाने से एेसी स्थिति बन रही है। उधर, गल्र्स और बॉयज होस्टल में कराए गए काम में भी गुणवक्ता की अनदेखी की गई है। यहां टेंडर शर्तो के अनुसार मटेरियल का उपयोग नहीं किया गया है। टाइल्स, सीमेंट व निर्माण में उपयोग होने वाला मटेरियल भी टेंडर शर्तों के विपरीत लगाया गया है। लेकिन इसकी मॉनीटरिंग न होने से ठेकेदार मौज में हैं।

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