सागरPublished: Sep 08, 2018 11:24:32 am
हामिद खान
अन्नदाता परेशान : जिले में उड़द का है 1.80 लाख हेक्टेयर का रकबा, जिले में लगातार बढ़ रहा दलहनी फसलों का रकबा
kuchaman
सागर. कुछ समय पहले तक कम बारिश के कारण किसान परेशान थे, लेकिन अब लगातार हो रही बारिश ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है। अंचलों में स्थिति यह है कि बारिश के कारण खेत जलभराव के कारण तालाब नजर आ रहे हैं। और यही कारण है कि मूंग की फसल जहां शत-प्रतिशत सडऩे की स्थिति में पहुंच गई है तो उड़द भी लगभग 60 प्रतिशत तक बर्बाद हो चुकी है। फिलहाल सोयाबीन को ज्यादा नुकसान नहीं है, लेकिन कम समय में आने वाली सोयाबीन की किस्मों में 20 से 25 प्रतिशत नुकसान हो चुका है। यह स्थिति किसी एक क्षेत्र की नहीं बल्कि जिले भर में एक जैसे हालात हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कुछ दिन और यही स्थिति रही तो फसल पूरी तरह चौपट हो सकती है।
1.86 लाख हेक्टेयर है उड़द-मूंग का रकबा : कृषि विभाग द्वारा तय किए गए लक्ष्य के अनुसार इस साल जिले के कुल रकबे में से आधा रकबा अकेला उड़द और मूंग का है। जिले के 4.22 लाख हेक्टेयर में से 1.80 लाख उड़द और 6 हजार हेक्टेयर मूंग का रकबा है। इसके अलावा सोयाबीन का 2 लाख हेक्टेयर के करीब बताया जा रहा है। यदि बारिश के कारण फसलें बर्बाद हुई तो यह माना जा रहा है कि इसका असर जिले में करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर की फसल पर पड़ सकता है।
जरुवाखेड़ा क्षेत्र के खैराई गांव के किसान ओंमकार यादव ने बताया की मूंग-उड़द की फसल तो खराब होने लगी है, और सोयाबीन की भी फसल पीली पडऩे लगी है।
राहतगढ़ क्षेत्र के किसान शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया की मंूग की फसल पहले ही गल चुकी है और यदि इसी तरह बारिश जारी
रही तो सोयाबीन की फसल भी बर्बाद हो जाएगी।
अंकुरित होने लगी मूंग-उड़द
लगातार हो रही बारिश को लेकर जब पत्रिका टीम ने अंचल में जायजा लिया तो स्थिति चौंकाने वाली थी। सालों से प्रकृति की मार झेल रहे किसानों की कमर वैसे ही टूट चुकी है, इसके बाद अब बारिश ने भी उनकी हिम्मत तोड़ दी है। खेतों में खड़ी फसलों में खासकर उड़द-मूंग और तिली में ज्यादा नुकसान हुआ है। जिसमें से मूंग की तो खड़ी फसल में पौधों की फल्लियों मे अंकुरित होने लगी हैं। जरुवाखेड़ा के किसान रामजी बहरोलिया ने बताया की इस बार 6 एकड़ में मूंग की फसल बोई थी, जो तेज बारिश के कारण हुए जलभराव के कारण गल चुकी है और पौधों में दोबारा से अंकुरण होने लगा है।
उड़द-मूंग की फसल को है नुकसान
&सोयाबीन की फसल में 9560 किस्म में लगभग 20-25 प्रतिशत का नुकसान है, अन्य किस्मों में अभी कोई नुकसान नहीं हैं। जबकि उड़द की फसल की फली पक चुकी है जिसमें 60 प्रतिशत और मूंग में 66 प्रतिशत का नुकसान हो चुका है। उड़द-मूंग की फसल में नुकसान की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों दी जा चुकी है। बारिश रुकने पर इसके सर्वे कराने के बाद ही सही नुकसान का आंकलन लगाया जा सकता है। किसान यदि खेतों में पानी निकासी की व्यवस्था कर ले तो कुछ हद तक फसल को बचाया जा सकता है।
आरडी वर्मा, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी, राहतगढ़