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road accident : साल में जितने दिन नहीं, उससे ज्यादा लोगों की जा रही जान

locationसागरPublished: Nov 07, 2017 07:12:17 pm

सड़कों की तकनीकी खामी बड़ी वजह, नहीं हो रहे सुधार के प्रयास

accident

road accident in sagar

सागर. जिले में बढ़ते सड़क हादसे लोगों की जान के दुश्मन बन गए हैं। अभी साल पूरा होने में दो माह शेष हैं, लेकिन हादसों में वाहन चालकों की मौत के आंकड़े इस संख्या को काफी पहले ही पार कर चुके हैं। जिले भर में वर्ष 2017 में सड़कों पर मारे गए लोगों की संख्या पिछले तीन साल के रिकार्ड को तोड़ चुकी है। एेसे में यह आंकड़े वाहन चालकों के अलावा पुलिस महकमे के लिए भी चिंता का कारण बने हुए हैं।
मामला ठंडे बस्ते में
रोड सेफ्टी के नियम, सड़क की तकनीकी खामियों में सुधार पर हादसों के बाद कुछ दिन तक अफसर-जनता गंभीर नजर आती है लेकिन फिर यह मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। जिले में हादसों की संख्या में लगातार तेजी आई है। वर्ष 2015 व 2016 से तुलना की जाए तो वर्ष 2017 के दस महीनों में ही पिछले दो सालों से 20 से 30 फीसदी ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं अब तक हो चुकी हैं।
304 दिन में 320 मृत
जिले में हाईवे के थानों में स्थिति ज्यादा डरावनी है। सागर के बहेरिया, मोतीनगर, कंेट के अलावा हाईवे पर गढ़ाकोटा, सुरखी, बंडा, मालथौन, राहतगढ़ एेसे थाने हैं जहां अकसर बड़े सड़क हादसे होते हैं। जिले के 30 थानों में दस माह में हादसों में 320 से ज्यादा लोगों ने जान गवाई है। इससे दुर्घटनाओं में इजाफे का अंदाजा लगाया जा सका है।
शव रखने के लिए कम पड़ गई थी जगह
सैकड़ों लोगों के खून से सना यह आंकड़ा इतना डरावना है कि हादसों की सूची पर नजर डालते ही कलेजा सिहर जाता है। रफ्तार और आपाधापी के दौर में दुर्घटनाओं का आकार भी बढ़ा हो गया है। 2017 में जनवरी से अक्टूबर तक कुछ हादसों के बाद तो लाशों की संख्या इतनी हो गई थी जिला अस्पताल की मर्चुरी में शव रखने जगह कम पड़ गई थी। जलंधर, हीरापुर, बांदरी क्षेत्र के हादसे आज भी जिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर और पुलिसकर्मी भुला नहीं पाए हैं।
फिर भी नहीं हो पाया कोई सुधार
सड़क हादसों के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माने जाने वाले ब्लैक स्पॉट पर तकनीकी सुधार की अनुशंसा के बावजूद अब तक इन स्थानों पर बदलाव नहीं आया है। दो बार अधिकारी सर्वे कर घुमाव, सर्विस रोड, डिवाइडर, संकेतक के अलावा अन्य तकनीकी सुधार के निर्देश जारी कर चुके हैं लेकिन पुलिस, लोक निर्माण विभाग व हाईवे की अलग-अलग अथॉरिटी के बीच समन्वय न होने से ये अनुशंसा और निर्देश अब तक केवल फाइलों तक ही सिमटे हैं।
जिले में हुए सबसे भीषण हादसे
एेरन मिर्जापुर (राहतगढ़) : 2016 में मंत्री कुसुम मेहदेले के परिवार के सात सदस्यों की मौत कार और स्कूल बस आमने-सामने आने के कारण हो गई थी। पांच लोगों ने मौके पर जान गवां दी थी जबकि दो लोगों की भोपाल में उपचार के दौरान सांस थम गई थी।
जलंधर (नरयावली) : 2017 में सानौधा क्षेत्र के ग्रामीण ट्रैक्टर-ट्रॉली से ज्वाला देवी के दर्शन करने जलंधर गए आए थे। लौटते समय पहाड़ी के घाट पर ट्रैक्टर बेकाबू हो गया और ट्रॉली पलट गई थी। जिसमें एक ही परिवार के छह लोगों की जान चली गई थी।
हीरापुर (शाहगढ़) : 2017 में डेढ़ माह पहले 25 सितम्बर को बटियागढ़ क्षेत्र के एक परिवार के सदस्य तूफान जीप में सवार होकर टीकमगढ़ के बगाज माता मंदिर दर्शन के लिए घर से निकले थे। हीरापुर चौराहे पर तेज रफ्तार ट्रक से भिडं़त परिवार के ८ सदस्यों की मौत हो गई थी।
झींकनी घाटी (बांदरी) : 2017 में 5 जनवरी को भागवत कथा सुनने जा रहे ग्रामीणों से भरी ट्रॉली की हिच टूटने से वह पलट गई थी। हादसे के समय ट्रॉली में 40 से ज्यादा लोग सवार थे। दुर्घटना में 40 से ज्यादा लोग घायल हुए थे जबकि चार ने घातक चोट आने के कारण दम तोड़ दिया था।
इसलिए बढ़ रहे हादसे
सड़क पर ड्राइविंग के नियमों की अधूरी जानकारी व उनका उल्लंघन। सड़कों पर तकनीकी त्रुटि, ज्वाइंट पर रोशनी व संकेतकों की कमी। सर्विस रोड बनाए बिना सड़कों को सीधे हाईवे पर जोडऩा। शराब के नशे में धुत होकर अनियंत्रित गति से वाहन चलाना। शाम के समय रोशनी के अभाव में दृश्यता प्रभावित होना।
हादसों की संख्या लगातार बढ़ रही है और ग्राफ ऊपर जा रहा है। दुर्घटनाओं में हर दिन लोगों की मौत हो रही है। रविवार को चनाटौरिया पर हादसे में दो युवकों की मौत के बाद घटनास्थल का परीक्षण कर जल्द तकनीकी सुधार कराएंगे।
संजय खरे, डीएसपी ट्रैफिक, सागर
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