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बिना सरकारी मदद के बना लिया लकड़ी का पुल, ऐसे हो रहा आवागमन

locationसागरPublished: Aug 02, 2019 02:45:03 pm

Submitted by:

manish Dubesy

बिना सरकारी मदद के बना लिया लकड़ी का पुल, ऐसे हो रहा आवागमन

Rural bridge made of wood Not received government help

Rural bridge made of wood Not received government help

शिवप्रसाद के हौसले को सलाम
बिना सरकारी मदद के नाले पर बनाया लकड़ी का पुल
पंकज शर्मा. रहली. कहते हैं जहां चाह होती है वहा राह निकल ही आती है। यदि हौसला मजबूत हो तो दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं होता है। ऐसा ही कुछ करके दिखाया है, शिवप्रसाद कुर्मी ने। रहली जनपद पंचायत के समनापुरकला गांव के शिवप्रसाद अपने दम पर लकड़ी का एक पुल बनाया है, जो अब गांववालों के लिए बारिश में आने-जाने के लिए सेतु का काम कर रहा है। दरअसल, गांव में खेर माता मंदिर के पास से निकले नाले से ग्रामीणों का आना-जाना होता है। लेकिन बारिश में जब नाले में पानी अधिक हो जाता है तो आवागम में परेशानी होने लगती है, ग्रामीणों को 3 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता था। बच्चे स्कूल नहीं जा
पाते थे।
स्थानीय अफसरों से गुहार लगाई। लेकिन किसी ने नहीं सुनी। गांववालों की इस समस्या को देखते हुए शिवप्रसाद ने लकड़ी का पुल बनाने की ठानी। घर में चर्चा की तो बेटे लक्ष्मीप्रसाद एवं पत्नी ने भी रजामंदी दे दी। काम आसान नहीं था, लेकिन हौसला बुलंद था। चार दिनों में लकड़ी का पुल बनकर तैयार कर दिया। शुरुआत में तो कुछ गांव वालों ने उनकी हंसी भी उड़ाई, लेकिन जब लकड़ी का पुल बन गया तो सभी ने सराहना की। अब ग्रामीण इसी पुल से आते-जाते हैं। शिवप्रसाद बताते हैं कि पुल बनाने में करीब 10 हजार रुपए का खर्च आया। पानी में लकड़ी खराब भी हो जाती है तो उसे बदलते भी हैं।

प्रयास रहे असफल
सरपंच कौशल पटेल ने बताया कि पंचायत में इतनी राशि नही है कि यहां पुल या पुलिया बन सके। इसके लिए कई बार जनपद पंचायत, अन्य अधिकारियों से लिखित एवं मौखिक चर्चा की। पुलिया स्वीकृत भी हुई थी लेकिन बजट अधिक होने के कारण निरस्त हो गई।
अधिकारी भी आए
जनपद पंचायत के एसडीओ अमित व्यास मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि नाले में पानी का भराव एवं चौड़ाई अधिक है। छोटी पुलिया से काम नहीं चलेगा इसके लिए तो बड़ी पुलिया या डेम बनाना पड़ेगा। सरपंच को प्रस्ताव बनाकर देने के निर्देश दिए हैं।

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