दरअसल, देश की सीमाओं की रक्षा करने वाली सेना को इन दिनों अपने हिस्से के पानी की सुरक्षा के लिए गश्त करनी पड़ रही है। झांसी-नरसिंहपुर फोरलेन के हाइवे पर स्थित चितौरा बैराज से सागर में निवासरत सैन्य परिवारों तक पानी की आपूर्ति की जाती है। यहां बेबस नदीं पर स्थित राजघाट बांध से निर्धारित मात्रा में पानी छोड़कर उसका संग्रहण किया जाता है।
किसान सिंचाई के लिए निकाल रहे पानी
रबी फसल के सीजन में किसान मनाही के बावजूद इससे पानी निकाल लेते हैं। इसलिए गर्मी के दिनों में आर्मी कैंट में पानी की किल्लत हो जाती है। जिससे यहां रहने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है। पानी की इस चोरी के कारण पिछले वर्ष सागर में सेना को पेयजल के संकट का सामना करना पड़ा था। इस वजह से बरसात खत्म होते ही बैराज को सेना ने अपने सुरक्षा में ले लिया है।
रबी फसल के सीजन में किसान मनाही के बावजूद इससे पानी निकाल लेते हैं। इसलिए गर्मी के दिनों में आर्मी कैंट में पानी की किल्लत हो जाती है। जिससे यहां रहने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है। पानी की इस चोरी के कारण पिछले वर्ष सागर में सेना को पेयजल के संकट का सामना करना पड़ा था। इस वजह से बरसात खत्म होते ही बैराज को सेना ने अपने सुरक्षा में ले लिया है।
पंपसेट हुए जब्त
एडम कमांडेंट कर्नल मुनीष गुप्ता स्वंय सेना के हिस्से के पानी की चोरी को रोकने के लिए नियमित रूप से बैराज का मुआयना करने पहुंच रहे हैं। रबी सीजन शुरू होने के बाद अब तक बैराज से पानी चुरा रहे किसानों के दर्जनभर सिंचाई पंप सेना जब्त कर चुकी है। वहीं, इस समस्या पर सरपंच बृजेंद्र सिंह राजपूत ने कहा कि बेबस नदी में यदि एनिकट से नीचे छोटे-छोटे स्टॉप डेम बनाए जाएं तो किसानों की परेशानी दूर हो सकती है।
एडम कमांडेंट कर्नल मुनीष गुप्ता स्वंय सेना के हिस्से के पानी की चोरी को रोकने के लिए नियमित रूप से बैराज का मुआयना करने पहुंच रहे हैं। रबी सीजन शुरू होने के बाद अब तक बैराज से पानी चुरा रहे किसानों के दर्जनभर सिंचाई पंप सेना जब्त कर चुकी है। वहीं, इस समस्या पर सरपंच बृजेंद्र सिंह राजपूत ने कहा कि बेबस नदी में यदि एनिकट से नीचे छोटे-छोटे स्टॉप डेम बनाए जाएं तो किसानों की परेशानी दूर हो सकती है।
पूरे प्रदेश में हुई थी पानी की किल्लत
गर्मी के मौसम में इसी साल पूरे प्रदेश में भयानक पानी की किल्लत हुई थी। इस किल्लत से राजधानी भोपाल भी अछूती नहीं थी। राजधानी के कई हिस्सों में भीषण जल संकट था, जिसे लेकर लोग सड़कों पर उतरे थे। ऐसे ही हालात प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी थे। तब सरकार ने प्रदेश में पान राइट टू वाटर अधिनियम लाने की बात कही थी।