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अद्भुत रहस्य : मंदिर छोड़कर जा चुकी हैं मां चंडी, बचा है सिर्फ पत्थर का फ्रेम

locationसागरPublished: Sep 29, 2022 05:07:14 pm

Submitted by:

Shailendra Sharma

मां चंडी के मंदिर का अद्भुत रहस्य..नवरात्रि पर दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं बड़ी संख्या में श्रद्धालु

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सागर. मां शक्ति के उपासवा के पर्व नवरात्रि में आपको एक ऐसे रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताते हैं जिसे छोड़कर कई साल पहले मां चंडी जा चुकी हैं और कई साल से मंदिर में मां की प्रतिमा ही नहीं है। मंदिर में मां की प्रतिमा न होने के बावजूद यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। नवरात्रि में तो खासकर बड़ी संख्या में देशभर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। जिस मंदिर के बारे में बात की जा रही है वो मध्यप्रदेश के सागर जिले के मालथौन जिले में स्थित है। मंदिर को छोड़कर जाने मां के जाने के पीछे कई कहानियां भी हैं जो यहां के लोग बताते हैं लेकिन सच्चाई क्या है ये अभी भी रहस्य ही है।

 

मंदिर छोड़कर गईं मां चंडी, बचा है सिर्फ पत्थर का फ्रेम
मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सीमा पर हरे भरे जंगलों के बीच स्थित मां चंडी मंदिर दोनों ही प्रदेशों के लिए आस्था का केन्द्र है और हर नवरात्र में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं जिनमें से एक उत्तरप्रदेश के नाराहट से दो किलोमीटर दूर दौलतपुर गांव के पास है तो वहीं दूसरा रास्ता मध्य प्रदेश के सागर जिले के मालथौन के अटा गांव से है। मां चंडी का ये मंदिर अपने अद्भुत रहस्य के लिए भी जाना जाता है क्योंकि यहां मंदिर में मूर्ति का सिर्फ पत्थर का फ्रेम ही नजर आता है जबकि मूर्ति का स्थान खाली है। फ्रेम में चारों ओर अस्त्र-शस्त्र हैं लेकिन मुख्य स्वरूप की प्रतिमा नहीं है।

 

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मंदिर का अद्भुत रहस्य
मंदिर से मां चंडी के चले जाने के पीछे कई कहानियां यहां पर प्रचलित हैं। कुछ लोगों का कहना है कि कई साल पहले मां चंडी मंदिर की छत तोड़कर यहां से चंदेरी में पर्वत की तलहटी में चली गई थीं जहां उन्हें जागेश्वरी माता के नाम से जाना जाता है। लेकिन कई साल पहले मंदिर को छोड़कर मां चंडी के चले जाने के बाद भी इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था कम नहीं हुई है। मंदिर व उसके आसपास के क्षेत्र को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने संरक्षित स्मारक घोषित किया है। ऐतिहासिक महत्व की बात करें तो विशेषज्ञ बताते हैं कि यहां आल्हा-ऊदल की कचहरी लगा करती थी, इस लिहाज से यह बुंदेलखंड के प्रमुख स्थानों में शामिल हो जाता है।

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