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न्याय के दरवाजे पर लटका ताला

locationसागरPublished: Apr 05, 2019 08:33:31 pm

– शिशु बाल गृह के ऑफिस से शिफ्ट नहीं हुआ केंद्र
– ४1 लाख रुपए की लागत से हुआ है निमार्ण
– दो माह पहले मंत्री-विधायक ने किया था वन स्टाप केंद्र का लोकापर्ण

न्याय के दरवाजे पर लटका ताला

न्याय के दरवाजे पर लटका ताला

सागर. घरेलू हिंसा से पीडि़त महिलाओं को छत के नीचे कानूनी मदद दिलाने के लिए जिला मुख्यालय पर सखी वन स्टॉप सेंटर की स्थापना की गई है। यहां पर ऐसी महिलाओं को महिला बाल विकास विभाग और पुलिस विभाग मिलकर नियमानुसार मदद दिलाएंगे। सागर में जिला अस्पताल परिसर में ४१ लाख रुपए की लागत से बने भवन का उद्घाटन तो हो गया लेकिन महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते शिशु बाल गृह के ऑफिस से अब तक इसे शिफ्ट ही नहीं किया गया है।

दो माह पहले हो गया उद्घाटन
भवन का लोकापर्ण 12 फरवरी को हो चुका है। वाणिज्यिक कर विभाग प्रभारी मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौर, राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, कुटीर ग्रामोद्योग मंत्री हर्ष यादव, सांसद लक्ष्मीनारायण यादव, विधायक शैलेन्द्र जैन और महापौर अभय दरे की उपस्थिती में विभाग के अधिकारियों ने भवन का लोकापर्ण तो करा लिया था लेकिन यहां पहुंचने वाली महिलाओं को न्याय नहीं दिला सके।

बाद में आई बदलाव की याद
वर्षों से बन रहे इस भवन के आंतरिक ढांचे में कुछ बदलाव किए जाने हैं। पीआईयू एजेंसी के द्वारा इस भवन को बनाया गया है। डीपीआर बनने के बाद अधिकारियों को कोई बदलाव की सुध नहीं रही। महिला बाल विकास अधिकारी भरत सिंह राजपूत ने बताया कि किचिन छोटा होने की वजह वन स्टाप केंद्र को अब तक शिफ्ट नहीं किया गया। मैंने हाल ही निरीक्षण किया है तो केंद्र के प्रमुख को निर्देश दिए हैं वो जल्द कार्यालय को शिफ्ट करें। जो काम थोड़ा हर गया है वह शिफ्टिंग के साथ पूरा हो जाएगा।

शिशु बाल गृह के ऑफिस में खुला है केंद्र
हिंसा से पीडि़त महिलाओं एवं बालिकाओं को एक ही स्थान पर अस्थायी आश्रय, पुलिस-डेस्क, विधि सहायता, चिकित्सा एवं काउंसिलिंग की सुविधा, इस केंद्र के द्वारा दी जानी है। दिल्ली में हुए निर्भया हादसे के बाद केंद्र सरकार की इस योजना के तहत राज्य के 18 जिलों में इन केंद्रों की मंजूरी हुई। शहर में अधिकारियों ने तात्कालिक तौर पर शिशु बाल गृह के ऑफिस में यह केंद्र खोल दिया। इसको 4 फरवरी 2017 में यहां स्थापित किया गया था। इस केंद्र पर पांच महिलाओं के रुकने के लिए अस्थाई तौर पर व्यवस्था भी की जाती है।

एक छत के नीचे न्याय मिलना है उद्ेश्य
शासन ने वन स्टॉप सेंटर को सखी नाम भी दिया है। इन सेंटरों को स्थापित करने के पीछे शासन को उद्देश्य है कि एक ही छत के नीचे हिंसा से पीडि़त महिलाओं एवं बालिकाओं को एकीकृत रूप से सहायता एवं सहयोग प्रदान कराना है वहीं पीडि़त महिला एवं बालिका को तत्काल आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध कराना, जिनमें चिकित्सा, विधिक, मनौवैज्ञानिक परामर्श आदि शामिल हैं।

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