वाणी में माधुर्य की कीमत तो तभी है जब आचरण में भी माधुर्य हो-मुनिश्री
समवशरण का समापन, अष्ट दिवसीय सिद्धचक्र महामंडल विधान आज से

बीना. खिमलासा में मुनिश्री विमलसागर महाराज के ससंघ सान्निध्य में प्रतिष्ठाचार्य ब्र. नितिन भैया, ब्र. दीपक भैया के मार्गदर्शन में 24 समवशरण विधान के समापन के बाद ही आज से 19 जनवरी तक अष्ट दिवसीय सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन किया जाएगा।
समवशरण विधान के समापन पर सैकड़ों इंद्र-इंद्राणियों ने 24 तीर्थंकर भगवंतों को विश्व की शांति और मोक्ष मार्ग की प्राप्ति के लिए 1008 श्रीफल अर्पित किए। विधान की समस्त धार्मिक क्रियाएं मंत्रोच्चार के साथ संपन्न हुर्इं। अशोक शाकाहार ने बताया कि आज सिद्धचक्र महामंडल विधान में आठ अघ्र्य समर्पित किए जाएंगे। सिद्धचक्र महामंडल विधान में सहयोग करने वालों में प्रकाश जैन, रवि जैन, डब्बू जैन, पारोलिया परिवार, नेमिचंद सराफ, नीरज सराफ, गगन सराफ, खुशालचंद सराफ, प्रमोद नायक, मुन्ना मलैया, नेमिचंद सिंघई, निर्मल सिंघई, अंबुज चौधरी आदि शामिल हैं। धर्मसभा को संबोधित करते हुए ज्येष्ठ मुनिश्री विमलसागर महाराज ने कहा कि धार्मिक अनुष्ठान कराना तो बहुत आसान है, लेकिन सच्चे देव, शास्त्र गुरू के बताए रास्ते पर चलना बहुत कठिन कार्य है। वर्तमान समय में व्यक्ति तरह-तरह की मायाचारी कर अपने स्वार्थ सिद्धि में लिप्त रहता है। व्यक्ति की वाणी में मिठास हो परन्तु आचरण में कड़वा जहर झलक रहा हो, तो वाणी की मिठास किसी काम की नहीं। वाणी में माधुर्य की कीमत तो तभी है जब आचरण में भी माधुर्य हो। महान बनने के लिए, कर्तव्य ही पूजा है, बाकी सब सौदेबाजी है। वास्तविक जिंदगी की शुरुआत जन्म से नहीं, बल्कि समाजसेवा, देशभक्ति, धर्म-संस्कृति की रक्षा, रहन-सहन में सादगी, वाणी में माधुर्य, विनय संपन्नता, मन में सरलता और दान-पुण्य आदि मानवीय गुणों के उत्पन्न होने से ही होती है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग संतों के चरणों में जाते हैं अपने स्वार्थ के लिए, न कि कुछ ग्रहण करने, इसलिए उनका आचरण ठीक नहीं होता है।
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