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रेत का खेल: सबको लगता हैं शेयर, इसीलिए क्षमता से डेढ़ गुना रेत लेकर पहुंच रहे डंपर

– थाने से लेकर अन्य विभागों में बंधे हैं महीने, ९०० में डंपर, फुटकर में १२०० तक रेटसंवेद जैन
 

सागरApr 03, 2023 / 07:46 pm

आकाश तिवारी

Sand game: Everyone seems to have a share, that’s why dumpers are arriving with sand one and a half times the capacity


दमोह. जिले में तीन जिलों से आने वाली रेत का खेल जोरों से चल रहा हैं। पुलिस, खनिज, परिवहन विभाग की मिलीभगत से बे-रोकटोक यह खेल चल रहा हैं, जिसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ रहा हैं। सरकारी खर्चा निकालने के लिए रेत व्यावसाय से जुड़े सिंडीकेट ने डंपर में क्षमता से डेढ़ गुना अधिक रेत लाई जा रही हैं, जिससे वह ऊपरी खर्च तो पूरा निकाल लेते हैं, ऊपर से रेट महंगा लोगों से वसूल रहे हैं।
पत्रिका के स्टिंग में इस बात का खुलासा कटनी से रेत लेकर आने वाले ड्राइवर्स ने किया है। जो धरमपुरा बायपास से लेकर मारूताल तक सुबह ५ बजे से लेकर दोपहर तक सक्रिय नजर आते हैं। यहीं से इनका विक्रय हो जाता हैं। इसके अलावा शहर के हाउसिंग बोर्ड, विवेकानंद, पुलिस लाइन, हटा नाका, कंकाली माता, सागर नाका सहित ४० से अधिक जगहों पर इसे डंप किया जाता है, जिसका व्यापार भी खुले आम १२०० रुपए टन तक किया जा रहा हैं।
– हर जगह पर महीना फिक्स
रेत डंपर के ड्राइवर से बातचीत के बाद स्पष्ट है कि बे-रोकटोक चल रहे इस काले धंधे में सरकारी मुलाजिम भी शामिल हैं। स्टिंग में ड्राइवर कटनी रोड पर रास्ते में पडऩे वाले कुम्हारी थाने में ३ हजार रुपए महीने प्रति डंपर देने की बात कर रहा है। इतना ही नहीं खनिज और परिवहन विभाग को भी रोजाना ७० से अधिक डंपर नजर नहीं आ रहे हैं।
– क्या है डंपर की सही क्षमता
खनिज विभाग के अनुसार १० चका डंपर में १६ क्यूबिन घनमीटर की परमीशन है, जबकि १२ चका में २० क्यूबिक घनमीटर की। टन के हिसाब से देखें तो १६ क्यूबिक यानि २६ टन रेत डंपर में होना चाहिए, लेकिन इन डंपर में ४४ टन तक रेत आ रही हैं। अधिक रेत डंपर की बॉडी में छेड़छाड़ कर बनाई जाती है। उसके ऊ पर पट्टे भी लगाकर कर रहे हैं। इस संबंध में खनिज अधिकारी मेजरसिंह जमरा से संपर्क करना चाहा, लेकिन बात नहीं हो सकी।
-रिपोर्टर और ड्राइवर के बीच स्टिंग

रिपोर्टर: डंपर कितेगा का पड़ेगाï?
ड्राइवर: ९२० रुपए टन।
रिपोर्टर: कितनी आती है एक डंपर में?
ड्राइवर:५० टन तो मान ही लो, ज्यादा हो तो कह नहीं सकते।
रिपोर्टर: कितने चका डंपर है यहï?
ड्राइवर:१२ चका है।
रिपोर्टर: तो डंपर कितने का पड़ जाएगा?
ड्राइवर: ९२० के हिसाब से जोड़ लो, ४६ हजार करीब।
रिपोर्टर: रसीद मिल जाएगी ५० टन की और रॉयल्टी?
ड्राइवर: गंगा-जमना कांटे से तौल करा लीजिए, रॉयल्टी भी है।
रिपोर्टर: कम लगा दीजिए कुछ?
ड्राइवर: इतने से कम नहीं मिल पाएगा, वहां से २२ हजार रुपए में हम ला रहे हैं।
रिपोर्टर: इस डंपर की क्षमता तो ३५ टन है, फिर ५० कैसे होगी?
ड्राइवर: क्षमता है तो क्या हुआ, तौल तो करा रहे हैं। १००० फीट की बॉडी है।
रिपोर्टर: ज्यादा कैसे हो सकता है?
ड्राइवर: दोनों तरफ पटिया लगे रहते हैं, देख लीजिए और तुलवा लो।
रिेपार्टर: कम करवा लो कुछ?
ड्राइवर: इससे कम नहीं हो पाएगा।
रिपोर्टर: २२ की आती है फिर इतनी महंगी क्यों?
ड्राइवर: २२ की रेत, २ हजार का टोल, १२ हजार डीजल, २ हजार ड्राइवर हेल्पर, थाने में ३ हजार रुपए महीना लगता है।
रिपोर्टर: गाड़ी का वजन सहित तो नहीं?
ड्राइवर: नहीं, गाड़ी का वजन अलग से १४ टन ५०० रहता है, इसके अलावा ५० से ५५ टन रेत होगी।
रिपोर्टर: कहां से लाते हैं?
ड्राइवर: कटनी से।
रिपोर्टर: पुलिस, आरटीओ, खनिज वाले रोकते नहीं?
ड्राइवर: नहीं, सब के साथ बातचीत रहती है भैया लोगों की। ज्यादा नहीं पता।

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