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सागर

संकट मोचन महादेव के अनेक रूप, तस्वीरों में करें दर्शन

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6 years ago
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उज्जैन के महाकाल का बदल-बदलकर अनोखा श्रृंगार होते तो सभी ने देखा होगा। लेकिन छतरपुर के प्राचीन संकट मोचन मंदिर के महादेव का भी ऐसे ही श्रृंगार होता है, यह कम ही लोगों को पता होगा। पिछले 10 सालों से यह परंपरा शहर में चल रही है।

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महाकाल की तरह हर साल सावन के महीने में हर दिन संकट मोचन महादेव का रूपक श्रृंगार शहर के एक युवा कलाकार द्वारा किया जा रहा है।

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कला और शिव साधना का यह अनूठा प्रयोग करने वाले दिनेश शर्मा पिछले एक महीने से हर दिन शाम के समय शहर के सबसे प्राचीन मंदिर संकट मोचन में भगवान का विशेष रूपक श्रृंगार करते आ रहे हैं। सावन सोमवार के दिन महादेव का विशेष श्रृंगार होता है।

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शहर में इस परंपरा की शुरुआत भी दिनेश ने ही की है। शुरुआत में उन्होंने मंदिरों में बदल-बदल कर श्रृंगार किया, लेकिन बाद में अपनी कला और अध्यात्म साधना को संकट मोचन मंदिर को समर्पित कर दिया।

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दिनेश की इस पहल और कला साधना के कारण अब हर साल सावन के महीने भर प्रतिदिन संकट मोचन मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगता है। सोमवार को यहां हजारों की सं या में लोग पहुंचने लगे हैं।

 

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दिनेश हर दिन संकट मोचन मंदिर में महादेव का बदल-बदल कर श्रृंगार करते हैं। वे भगवान के अद्र्ध नारीश्वर स्वरूप, रुद्र अवतार हनुमानजी, सूर्य, शनि, गणेश स्वरूप से लेकर अलग-अलग यंत्रों और रूपों में भगवान का श्रृंगार करते आ रहे हैं।

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हर सोमवार की झांकी उनकी विशेष होती है। वे उज्जैन महाकाल की तर्ज पर भगवान का श्रृंगार जब करते हैं तो एक बारगी लोग भरोसा भी नहीं कर पाते हैं कि संकट मोचन महादेव ही तो कहीं महाकाल रूप में अवतरित नहीं हो गए।

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दिनेश कहते हैं कि भगवान शंकर जिसके आराध्य हों या फि र अगर कोई साधक भगवान शंकर का ध्यान करता हो तो उनके बारे में कई भाव मन में प्रस्फुटित होते हैं। उन्हीं भावों को वे अपने श्रृंगार में उतारते हैं। भगवान शिव सौ य प्रकृति एवं रौद्र रूप दोनों के लिए वि यात हैं।

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अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। यह सबसे भोले देवता है जो शीघ्र प्रसन्न हो जाते है, इसलिए भक्त इन्हें भोलेनाथ कहकर पुकराते है। ऐसे भगवान की साधना कला रूप में करने से उन्हों आत्मिक शांति प्राप्त होती है।



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दिनेश चाहते हैं कि उन्हें उज्जैन के महाकाल मंदिर के भगवान शिव का विशेष श्रृंगार करने मिले। वे अपनी कला को हमेशो के लिए उन्हें समर्पित करना चाहते हैं। महाकाल के श्रृंगार के प्रति उनके मन में प्रबल इच्छा है।

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