scriptपांच दिन और रह सकती है स्कूल बस यूनियन की हड़ताल, अभिभावकों के सुनकर ही छूटे पसीने | School bus union strike | Patrika News

पांच दिन और रह सकती है स्कूल बस यूनियन की हड़ताल, अभिभावकों के सुनकर ही छूटे पसीने

locationसागरPublished: Apr 21, 2018 12:19:10 pm

40.4 डिग्री तापमान में स्कूल से घर पहुंचे बच्चे, प्रशासन की बंदइंतजामी की खुली पोल

पांच दिन और रह सकती है स्कूल बस यूनियन की हड़ताल, अभिभावकों के सुनकर ही छूटे पसीने

सागर. शुक्रवार को जिला स्कूल बस यूनियस की हड़ताल से स्कूली बच्चों व उनके माता-पिता की शामत आ गई। बच्चों को सुबह स्कूल पहुंचाने से लेकर दोपहर में चिलचिलाती धूप के बीच घर तक लाने में अभिभावकों के भी पसीने छूट गए। अपने लाड़लों को भीषण गर्मी से बचाने तरह-तहर के जतन भी किए। तमाम परेशानी के बीच जब बच्चे घर पहुंचे तो राहत की सांस ली।

अभिभावकों की तलाश में जुट गए
दोपहर १२ बजे स्कूल में घंटी बजते ही चिलचिलाती धूप में पसीने से तरबतर मासूम बच्चे शुक्रवार को परेशान हो गए। छुट्टी के बाद स्कूल से बाहर निकलते ही अभिभावकों की तलाश में जुट गए। दरअसल, जिला स्कूल बस यूनियन की हड़ताल ने बच्चों को परेशानी में डाल दिया। तपती धूप में ४० डिग्री तापमान में बच्चे अभिभावकों के साथ घर पहुंचे। गर्मी के बीच स्कूल की छुट्टी तो दोपहर १२ बजे हो गई, लेकिन बच्चे दो घंटे लेट दोपहर २ बजे घर पहुंच पाए। स्कूल बस की हड़ताल को लेकर पत्रिका टीम ने स्कूलों का जायजा लिया तो यह हकीकत उजागर हुई।

एक घंटे तक लगा रहा जाम
स्कूल की छुट्टी होने के बाद शहर के वात्सल्य स्कूल, दीपक मेमोरियल, कॉन्वेंट स्कूल सहित अन्य स्कूलों के बाहर घंटों तक जाम लगा रहा है। यहां सैकड़ों गाडिय़ां बच्चों के लिए लेने पहुंचीं। अभिभावक लंबे जाम में फंसे रहे। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन की कोई व्यवस्था नहीं रहने से हम परेशान हैं। कभी भी बस यूनियन हड़ताल कर देती है, ऐसा नहीं होना चाहिए। घंटों ट्रैफिक में खड़े हैं, लेकिन बच्चों की सुध लेने के लिए कोई नहीं आया।

एक साथ कर दी स्कूल की छुट्टी
कैंट स्थित सेंट जोसफ कॉन्वेंट स्कूल में दोपहर १२ बजे अनेक अभिभावक और बच्चे स्कूल के बाहर खड़े हुए थे। अभिभावक दोपहिया और चारपाहिया वाहनों से बच्चों को लेने के लिए स्कूल पहुंचे थे। पसीने से तरबतर अभिभावकों ने बच्चों को कपड़े से ढका और गर्मी से बचाने के तरह-तरह के जतन करते हुए अपनी गाडिय़ों पर बैठाया। स्कूल के आसपास गाडिय़ों ने ट्रैफिक अव्यवस्थित कर दिया। इस वजह से बच्चे २ घंटे लेट घर पहुंचे।

नहीं आए पापा, कैसे जाएं घर
बाहुबली कॉलानो में रहने वाली समृद्धि जैन अपने भाई के साथ पापा की तलाश कर रही थी। भीड़ की वजह से उसे दूर-दूर तक पापा दिखाई नहीं दिए। पत्रिका टीम ने जब उससे कहा बेटा क्यों परेशान हों? तो उसने बताया कि पापा लेने नहीं आए। मुझे फोन नंबर पता है। पापा को बुला दो, मुझे घर जाना है। तब पत्रिका टीम के सदस्य ने फोन लगाक र उसके पापा को बुलाया।

अभिभावक बोले: हड़ताल नहीं करनी चाहिए
मैं गल्र्स डिग्री कॉलेज में शिक्षक हूं। परीक्षा में ड्यूटी चल रही थी। सुबह ड्यूटी से पहले बच्चे को स्कूल छोड़ा और अब लेने आए हैं। बस यूनियन को ऐसे हड़ताल नहीं करनी चाहिए। स्कूल प्रबंधन को भी कुछ व्यवस्था करनी चाहिए थी। आज स्कूल में टेस्ट भी था।
कुलकिता सिंह गौड़, अभिभावक

हड़ताल ने हमें परेशानी में डाल दिया। मैं सदर से आया हूं। दोपहर के १२ बजे लू के बीच बच्चे को घर लेकर जाऊंगा तो उसकी भी तबीयत बिगडऩे का डर है। गर्मी के दिनों में बच्चे परेशान हो रहे हैं। गाडिय़ां भी धूप की वजह से गर्म हैं।
परमिंदर सिंह दुग्गल, अभिभावक

 

school bus
 

अभिभावकों को कुछ दिन और असुविधा झेलनी पड़ेगी
हड़ताल के कारण बच्चों को अभी कुछ दिन और असुविधा झेलनी पड़ेगी। १५ साल से ज्यादा पुरानी बसों को परमिट-फिटनेस सर्टिफिकेट देने की मांग पर अड़े स्कूल बस ऑपरेटरों से हड़ताल खत्म करने शुक्रवार शाम तक प्रशासन या आरटीओ द्वारा कोई पहल नहीं किए जाने से हड़ताल के आगे खिचने के आसार बने हुए है। उधर प्रशासनिक रवैए से नाराज स्कूल बस ऑपरेटरों ने शुक्रवार शाम को परेड मंदिर परिसर में बैठक का आयोजन कर हड़ताल पर डटे रहने की रणनीति पर चर्चा की। अभिभावकों को पर्चे भी बांटे। हड़ताल के पहले दिन जिले में २५० से ज्यादा बसों के पहिए थमे रहे।
हड़ताल के कारण- शासन स्तर पर लंबित है मामला
स्कूल बसों की हड़ताल शुरू होने और प्रशासन या परिवहन अधिकारियों द्वारा वार्ता के माध्यम से उसे न रोकने के सवाल पर आरटीओ प्रदीप कुमार शर्मा का कहना है मामला परिवहन विभाग व शासन स्तर पर लंबित है। ऑपरेटर्स की आपत्तियों पर सुनवाई की जा चुकी है अब जल्द ही १५ साल से पुरानी बसों के संचालन के संबंध में अधिकृत निर्णय जारी कर दिया जाएगा।
इसलिए हुई हड़ताल
अभी निर्णय कहां पर अटका है यह उनकी जानकारी में नहीं है। पिछले दिनों बस यूनियन के पदाधिकारियों ने कलेक्टर और आरटीओ के नाम मांगपत्र सौंपा था लेकिन राजधानी स्तर पर मामला अटका होने से अधिकारी कोई जवाब नहीं दे सके और यही वजह हड़ताल की स्थिति के लिए जिम्मेदार बनी है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो