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युवा वैज्ञानिकों के मॉडल सुविधाओं के साथ करेंगे पर्यावरण की रक्षा

locationसागरPublished: Feb 27, 2019 08:36:40 pm

साइंस डे आज

युवा वैज्ञानिकों के मॉडल सुविधाओं के साथ करेंगे पर्यावरण की रक्षा

युवा वैज्ञानिकों के मॉडल सुविधाओं के साथ करेंगे पर्यावरण की रक्षा

सागर. विज्ञान ने हर किसी के जीवन को प्रभावित किया है। कभी छोटे रूप में तो कभी बड़े रूप में। विज्ञान के क्षेत्र में लगातार इनोवेशन भी होते रहे हैं, जो हर वर्ग के लिए सुविधाओं को बढ़ाते हैं। शहर के युवा वैज्ञानिक भी इसमें रूझान दिखा रहे हैं। उन्होंने ऐसे मॉडल तैयार किए हैं जो सुविधाओं को बढ़ाने के साथ पर्यावरण को प्रदूषण से बचाएंगे। साइंस डे के मौके पर पत्रिका ने शहर के युवा वैज्ञानिकों से बात की।
घूमने वाले सोलर पैनल से होगा सौर ऊर्जा का उपयोग
एक्सीलेंस स्कूल की छात्रा रिद्धि तिवारी ने घूमने वाला सोलर पैनल बनाया है। अभी तक जितने भी सोलर पैनल लगाए जाते हैं वे फिक्स होते हैं। रिद्धि के मॉडल में सौर ऊर्जा का पूरी तरह उपयोग होगा। पैनल के साथ साइकिल की रिंग जोड़कर उससे रस्सी में ईंट को बांधा गया है। ईंट को पानी की बाल्टी में रखा गया है। इस बाल्टी में लगे नल से दूसरी बाल्टी में एक-एक बूंद पानी गिरता है। जैसे-जैसे बाल्टी का पानी कम होगा, रिंग के माध्यम से सोलर पैनल भी 180 डिग्री पर घूमेगा। इसे इस तरह सेट किया जाएगा कि सूर्य की दिशा बदलने के साथ सोलर पैनल की स्थिति भी बदलती रहेगी। हालही में हुई 7वीं राष्ट्रीय इंस्पायर अवार्ड मानक प्रदर्शनी में देश भर के टॉप-60 मॉडल चुने गए थे। इनमें रिद्धि तिवारी का मॉडल शामिल है। तिवारी के मॉडल के लिए १४ मार्च को गुजरात में प्रदर्शित किया जाना है जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देखेंगे। लेकिन तिवारी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगी। रिद्धी ने बताया कि इस वर्ष उनकी बोर्ड परीक्षा है। इस वजह से कार्यक्रम में शामिल होना मुश्किल है।
मैग्लेव ट्रेन से नहीं होंगे हादसे

शहर के युवा वैज्ञानिक अरमान अहमद ने मैग्लेव ट्रेन का मॉडल बनाने में कामयाबी हासिल की है। इस ट्रेन की खास बात यह है कि ये पहियों से नहीं, बल्कि हवा में तैरते हुए चलती है और इसे मैग्नेटिक सिस्टम यानी चुंबकीय प्रणाली कहा जाता है।
उन्होंने बताया कि ये मैगनेटिक ट्रेन है, जिसे मैग्लेव कहा जाता है। यह ट्रेन भीदो सेड्स पर चलती है। दोनों मैगनेट अपोजिट धूव्रों पर लगे रहते हैं। उन्होंने बताया कि यह ट्रेन विदेशों में चल रही है, भारत सरकार की इस ओर नजर है। मैनें इसका मॉडल यहां बनाया है। इस ट्रेन की एक और खासियत ये भी है कि ये पूरी तरह से ईको फे्रंडली है क्योंकि इससे प्रदूषण नहीं फैलता है। ये ट्रेन किसी भी तरह के हादसे का शिकार नहीं हो सकती क्योंकि ट्रैक से ये टच में नहीं होगी। अगर ट्रेन में कोई खराबी आती है तो वो पहले ही पता चल जाएगी।
इसलिए मनाया जाता है साइंस डे

यह दिन वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकट रमन की 28 फरवरी 1928 को महत्वपूर्ण खोज की याद में मनाया जाता है।

इस खोज को भौतिक विज्ञान में 1930 में नोबेल सम्मान से सम्मानित किया गया था। 2013 में अमेरिकी केमिकल सोसाइटी ने रमन इफेक्ट को अंतर्राष्ट्रीय ऐतिहासिक केमिकल लैंडमार्क का दर्जा दिया। 1986 में विज्ञान और तकनीकी कम्युनिकेशन की राष्ट्रीय परिषद् ने राष्ट्रीय सरकार से फरवरी 28 को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाने की गुजारिश की। पहली बार राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी 2000 में मनाया गया।
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