जैसीनगर. प्रदेश सरकार द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से गेहूंरास तिराहे पर मृदा परीक्षण प्रयोगशाला का भवन बनाया गया। जिसका उद्देश्य आघुनिक मशीनों के माध्यम से किसान के खेतों की मिट्टी में किन किन तत्वों की कमी है यह पता कर उपज की पैदावार बढ़ाना है। लेकिन कृर्षि विभाग के उच्च अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत के चलते आधा-अघूरा भवन हैंडओवर कर दिया गया है। हद तो तब हो गई जब ब्लॉक मे स्थित आफिस से पुराने फर्नीचर को मृदा भवन में शिफ्ट कर दिया। जब इस संबध मे कृषि विस्तार अधिकारी एसके जैन से पूछा तो उन्होने बताया कि डीडीए के आदेश पर ऐसा किया गया है। इस संबंध में डीडीए एके नेमा ने अघूरी बिल्डिंग का होना स्वीकार किया। लेकिन अधूरी बिल्डिंग को हैंडओवर क्यों किया गया इस पर कुछ नहीं बताया। ब्लॉक मेंकृषि भवन का आफिस है उसको इसलिए इधर से उधर किया जा रहा है ताकि कृषि विभाग के कर्मचारी और अधिकारी राजघाट रोड सागर से सीधे आएं और गेहूंरास तिराहा स्थित मृदा भवन पहुचें फिर वही के वही वापस चले जाए क्यों कि वहा कोई देखरेख न कर पाए। यहां के किसानों ने कहा कि यदि मृदा परीक्षण केंद्र तैयार हो जाए तो वे कुछ नया कर सकते हैं। मिट्टी की उर्वरा शक्ति सही मापन न होने के कारण वे उपज कम पा रहे हैं। वैज्ञानिक तकनीक से खेती की बात तो सरकार करती है पर जब जरूरत होती है तब किसान को वह नहीं मिल पाता।