सागरPublished: Aug 13, 2020 09:07:57 pm
sachendra tiwari
उड़द की फसल हर वर्ष हो रही खराब
Soybean acreage increased, half of urad
बीना. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष सोयाबीन का रकबा बढ़ा है और यह रकबा बढ़कर 40 हजार हेक्टेयर पर पहुंचा गया है। वहीं उड़द का रकबा पिछले वर्ष की अपेक्षा आधे से भी कम हो गया है।
ज्यादा बारिश और कीटों के कारण उड़द की फसल पिछले वर्ष खराब हो गई थी और सोयाबीन का उत्पादन बहुत अच्छा हुआ था, जिसके चलते अब किसानों ने सोयाबीन की बोवनी ही ज्यादा की है। इस वर्ष सोयाबीन 40 हजार 70 हेक्टेयर में बोया गया है, जबकि पिछले वर्ष इसका रकबा 31 हजार 560 हेक्टेयर था। उड़द का रकबा 8 हजार 500 हेक्टेयर है जो पिछले वर्ष 19 हजार 563 हेक्टेयर था। उड़द के रकबा भी इस वर्ष बहुत ज्यादा गिरावट आई है। किसानों के बताया कि उड़द की फसल हर वर्ष खराब हो रही है, कभी ज्यादा बारिश तो फसल में रोग लगने के कारण लागत भी नहीं निकल पाती है। उड़द फसल में पीला मौजिक रोग भी लगता है।
मक्का का भी बढ़ा रकबा
इस वर्ष सोयाबीन, उड़द के अलावा किसानों ने मक्का पर भरोसा जताया है। इस वर्ष मक्का का रकबा 600 हेक्टेयर हो गया है, जबकि पिछले वर्ष 170 हेक्टेयर था। धान का रकबा भी 150 हेक्टेयर हो गया है जो पिछले 40 हेक्टेयर ही था। इसके अलावा मूंग भी 400 हेक्टेयर में बोई गई है। मूंगफली, अरहर, तिल का रकबा बहुत कम है।
उड़द की फसल में लगते हैं रोग, उत्पादन भी कम
किसान वीरसिंह लोधी ने बताया कि उड़द की फसल में पीला मौजिक रोग लगता है, जिससे फसल बर्बाद हो जाती है। साथ ही उड़द की फसल का उत्पादन एक एकड़ में 3 क्विंटल होता है, लेकिन सोयाबीन का उत्पादन 8 से 10 क्विंटल तक हो जाता है। साथ ही बाजार में उड़द के दाम भी अच्छे नहीं मिलते हैं।
सोयाबीन की ओर बढ़ा है रुझान
इस वर्ष सोयाबीन का रकबा बढ़ा है। उड़द का रकबा घट गया है। साथ ही मक्का का रकबा बढ़ा है। किसान एक फसल की जगह यदि सभी फसलों की बोवनी करेंगे तो किसानों का लाभ होगा।
राकेश परिहार, आरएइओ