नहीं लिखी कहीं पर भी जानकारी
ई-हॉस्पिटल को लेकर जागरूकता संबंधी स्लोगन या साइन बोर्ड बीएमसी में कहीं भी नहीं लगाए गए हैं। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन/ अपॉइंटमेंट के लिए अलग से काउंटर भी नहीं हैं।
पर्ची काउंटर पर यूनिक आईडी जनरेट करने के दौरान भी मरीजों को आईडी के महत्व को लेकर भी कर्मचारी जानकारी नहीं दे रहे। यही वजह है कि गिनती के लोग ही दोबारा उपचार कराने के दौरान यूनिक आईडी बता रहे हैं। बाकी अन्य मरीज दोबारा आने पर नई पर्ची यानी नया यूनिक आईडी जनरेट करा रहे हैं।
26 हजार ने किया यूनिक आईडी का उपयोग
बीएमसी में एक नवंबर 2017 से ई-हॉस्पिटल व्यवस्था शुरू हुई है। तब से अब तक चार लाख 15 हजार 75 मरीज रजिस्टर्ड हुए हैं। इनमें से 3,88,507 मरीजों की यूनिक आईडी बनी है। इनमें से सिर्फ 26,568 वे मरीज हैं, जिन्होंने पुरानी यूनिक आईडी दिखाकर अपना उपचार कराया है।
ई-हॉस्पिटल में ओआरएस सिस्टम की सुविधा शुरू नहीं हो पा रही है। इसका कारण मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा होना है। वार्डों और अन्य जगहों पर यह सुविधा शुरू होना है। अप्रैल में यह लागू कर दिया जाएगा।
डॉ. एसपी सिंह, नोडल अधिकारी ई-हॉस्पिटल