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दर्जा ई-हॉस्पिटल का, काम सिर्फ यूनिक आइडी तक सीमित, ऐप भी दे रहा धोखा

locationसागरPublished: Mar 21, 2019 01:40:11 am

बीएमसी में नवम्बर 2017 में शुरू हुई थी सेवा

Status e-hospital, work limited to just unique ID, app also cheating

Status e-hospital, work limited to just unique ID, app also cheating

सागर. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज को ई-हॉस्पिटल का दर्जा मिले डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन अस्पताल अब भी यूनिक आईडी देने तक सीमित है। ऑनलाइन अपॉइंटमेंट की सुविधा शुरू नहीं हो पाई है। वार्डों, पैथोलॉजी, एक्स-रे और ओपीडी भी डिजिटल नहीं हो पाए हैं।
कतार से बचने के लिए उमंग ऐप का उपयोग किया जाता है तो बताया जाता है कि मरीज ज्यादा हैं, रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकते। हालांकि यह बात प्रबंधन भी मानता है कि बीएमसी में मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण ऑनलाइन अपॉइंटमेंट की सुविधा शुरू नहीं हो पा रही है। दूसरे चरण का काम धीमी गति से चल रहा है। आचार संहिता लगने के बाद वार्डों को ई-हॉस्पिटल सेवा से जोडऩे की प्रक्रिया शुरू हुई थी। कई जगह कम्प्यूटर सिस्टम, प्रिंटर आदि की व्यवस्था कर दी गई है, लेकिन अभी इंटरनेट कनेक्शन होना बाकी है। प्रबंधन की मानें तो अप्रैल के अंत तक वार्ड, पैथालॉजी, एक्स-रे और ओपीडी को पूरी तरह डिजिटाइज कर दिया जाएगा।

नहीं लिखी कहीं पर भी जानकारी
ई-हॉस्पिटल को लेकर जागरूकता संबंधी स्लोगन या साइन बोर्ड बीएमसी में कहीं भी नहीं लगाए गए हैं। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन/ अपॉइंटमेंट के लिए अलग से काउंटर भी नहीं हैं।
पर्ची काउंटर पर यूनिक आईडी जनरेट करने के दौरान भी मरीजों को आईडी के महत्व को लेकर भी कर्मचारी जानकारी नहीं दे रहे। यही वजह है कि गिनती के लोग ही दोबारा उपचार कराने के दौरान यूनिक आईडी बता रहे हैं। बाकी अन्य मरीज दोबारा आने पर नई पर्ची यानी नया यूनिक आईडी जनरेट करा रहे हैं।

26 हजार ने किया यूनिक आईडी का उपयोग
बीएमसी में एक नवंबर 2017 से ई-हॉस्पिटल व्यवस्था शुरू हुई है। तब से अब तक चार लाख 15 हजार 75 मरीज रजिस्टर्ड हुए हैं। इनमें से 3,88,507 मरीजों की यूनिक आईडी बनी है। इनमें से सिर्फ 26,568 वे मरीज हैं, जिन्होंने पुरानी यूनिक आईडी दिखाकर अपना उपचार कराया है।

ई-हॉस्पिटल में ओआरएस सिस्टम की सुविधा शुरू नहीं हो पा रही है। इसका कारण मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा होना है। वार्डों और अन्य जगहों पर यह सुविधा शुरू होना है। अप्रैल में यह लागू कर दिया जाएगा।
डॉ. एसपी सिंह, नोडल अधिकारी ई-हॉस्पिटल

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