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नसबंदी ऑपरेशन में सागर पिछड़ा अभी हुए केवल इतने फीसद

locationसागरPublished: Dec 06, 2019 03:26:51 pm

Submitted by:

manish Dubesy

नसबंदी ऑपरेशन में सागर पिछड़ा अभी हुए केवल इतने फीसद

नसबंदी ऑपरेशन में सागर पिछड़ा अभी हुए केवल इतने फीसद

नसबंदी ऑपरेशन में सागर पिछड़ा अभी हुए केवल इतने फीसद

अब एक शिविर में ३० की बजाए ५० नसबंदी ऑपरेशन होंगे, सागर में 16 हजार का लक्ष्य अब तक १८त्न ही हुए
बढ़ती आबादी पर लगाम लगाने की कवायद
सागर. परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में लगाए जाने वाले शिविरों में होने वाले नसबंदी ऑपरेशनों की संख्या में स्वास्थ्य विभाग ने बढ़ोत्तरी की है। अब तक एक शिविर में ३० नसबंदी ऑपरेशन करने के प्रावधान था, लेकिन अब संख्या बढ़ाकर ५० कर दी है। जानकारों की माने तो प्रदेश में सकल प्रजनन दर पर अंकुश न लग पाने के कारण लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने नया नियम लागू किया है। हालांकि निर्देश में यह भी कहा गया है कि पहले ३० नसबंदी ऑपरेशन के बाद ओटी को संक्रमण रहित किया जाए और उसके बाद ही २० और नसबंदी ऑपरेशन किए जाएं। स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के सभी सीएमएचओ को पत्र जारी कर इस पर अमल करने के निर्देश दिए हैं। हालही में यह पत्र सागर सीएमएचओ डॉ. एमएस सागर को मिला है।
सकल प्रजनन दर में वृद्धि की वजह नसबंदी कार्यक्रम लक्ष्य के मुताबिक पूरा न हो पाना है। जिले में अप्रैल से अब तक यानी ८ महीने में मात्र ३०७८ नसबंदी ऑपरेशन हुए हैं। जबकि लक्ष्य १६३८८ का है। हैरानी की बात यह है कि इनमें पुरुषों की संख्या न के बराबर है। जानकारी के अनुसार जिले में नसबंदी कराने वाले पुरुषों की संख्या महज १८ है। पुरुषों में नसबंदी को लेकर जागरुकता की कमी साफ नजर आ रही है। खासबात यह है कि पुरुषों को जागरुक करने के लिए जिला स्तर पर कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं, लेकिन यह सभी प्रयास बौने साबित हो
रहे हैं।

टीकमगढ़ से भी बुलाते हैं सर्जन
परिवार नियोजन कार्यक्रम के असफल होने की एक वजह प्रशिक्षित सर्जनों की कमी होना है। जिले में एक सर्जन को ही नसबंदी ऑपरेशन करने का प्रशिक्षण प्राप्त है। कई बार तो स्थिति यह बनती है कि टीकमगढ़ से सर्जन बुलाने पड़ते हैं। जिले में नसबंदी ऑपरेशन के लिए सिर्फ देवरी बीएमओ डॉ. एमके जैन ही बचे हैं। डॉ. दिवाकर मिश्रा रिटायर्ड हो चुके हैं।
अंतरा से बच्चों के बीच बना रहे अंतर
नसबंदी के अलावा कई तरह के अभियान बच्चों के बीच अंतर रखने के लिए चलाए जा रहे हैं। इनमें छाया, अंतरा, कॉपर टी आदि शामिल हैं। अंतरा का तीन महीने का कोर्स प्रचलन में आ रहा है। जिला अस्पताल में इसके इंजेक्शन नि:शुल्क लगाए जाते हैं, लेकिन साइड इफेक्ट होने के कारण डर से महिलाएं इसका उपयोग नहीं कर रही हैं।

एक्सपर्ट-व्यू
नसबंदी के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता है। पुरुषों में नसबंदी न कराने के पीछे कई कारण हैं। सबसे प्रमुख कारण यह है कि लोगों को भ्रांतियां हैं कि ऑपरेशन होने के बाद शारीरिक दुर्बलता आती है और पुरुष प्रवत्ति में बदलाव आ जाता है। समान्य व्यक्ति की तरह से नहीं रहता। जबकि एेसा कुछ भी नहीं है। इसे ऑपरेशन जरूर कहा जाता है, लेकिन इसमें किसी भी प्रकार के टांके नहीं लगाए जाते हैं। मात्र २ मिनट में यह ऑपरेशन हो जाता है। दो बच्चे के बाद पुरुषों को चाहिए कि वह नसबंदी कराएं और जनसंख्या नियंत्रण में सहयोग प्रदान करें।
डॉ. एमएस सागर, सीएमएचओ
यह दी जाती है राशि
महिला नसबंदी- २ हजार रुपए
पुरुष नसबंदी- ३ हजार रुपए
नसबंदी न कराने के पीछे यह भी हैं कारण
ठ्ठ दो बेटियों के बाद बेटी
की चाहत रखना।
ठ्ठ नसबंदी कराने के
दौरान कैज्युअल्टी का डर।
ठ्ठ शिविरों में सुविधाओं
की कमी होना।
&लक्ष्य को पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह बात सही है कि स्वास्थ्य विभाग ने नसबंदी ऑपरेशनों की संख्या ३० से बढ़ाकर ५० कर दी है। सर्जन की कमी है, लेकिन उसके लिए नए सर्जनों को प्रशिक्षण
दिलाया जाएगा।
डॉ. एनके सैनी, प्रभारी परिवार नियोजन

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