हालात यह हैं छात्रावास के नाम पर केवल 8 कमरे हैं और यहां 110 छात्राएं रह रही हैं। शहर में लगातार बारिश होने से यहां के हाल बेहाल हैं। कमरों में सीलन और पानी भरने से कई छात्राओं को पढ़ाई छोड़कर घर मजबूरन घर जाना पड़ा है। जो पलंग इन्हें सोने के लिए दिया गया है उसी पर बैठकर उनकों खाना बनाना पड़ता है और पढ़ाई ही करनी होती है। पर्याप्त जगह न होने की वजह से एक कमरें में यहां 10 से 18 तक छात्राएं रह रही हैं। यहां
अब कैसे करें पढ़ाई
छात्राओं ने अपनी परेशानी सुनाते हुए बताया कि अब वे कैसे पढ़ाई करें। यह हाल अभी के नहीं बल्कि वर्षों से उन्हें इसी स्थिति में रहना पड़ता है। छात्राओं ने बताया कि एक कमरे में १० से लेकर १८ लड़कियां तक रहती हैं। खाना बनाने के लिए जगह नहीं है। पढ़ाई करने के लिए कोई अलग से कुर्सी-टेबल का इंतजाम नहीं है। जिस पलंग पर हम सोते हैं उसी पर पढ़ाई के साथ हमें खाना तक खाना पड़ता है। हैरानी की बात यह है कि इन छोटे-छोटे पलंग पर दो लड़कियों को रहने के लिए कहा गया है। यहां एक कमरे में ९ पलंग सटाकर लगाए हुए हैं,और 18 छात्राओं को रोका गया है। जिस उ²ेश्य के साथ हम यहां रह रहे हैं वो उ²ेश्य हमारा पूरा नहीं हो रहा है। परेशानी इतनी हैं कि पढ़ाई नहीं हो पा रही है।
नहीं कराई सफाई, भर रहा बारिश का पानी
छात्रावास में बारिश का पानी हर जगह से भरा हुई है। ऊपर से छत का पानी टपक रहा है तो नीचे से नाले का पानी अंदर भर रहा है। तेज बारिश की वजह से यहां पानी भरा हुआ है। छात्राओं ने बताया कि यहां हम सफाई में ही लगे रहते हैं। वार्डन द्वारा पानी निकालने का कोई इंतजाम नहीं करवाया गया। परिसर में बने नाले की भी सफाई नहीं कराई गई जिससे यहां पानी भर रहा है। छात्रावास की बारिश के पहले सफाई भी नहीं करवाई गई। पीछे के इलाके से सांप तक अंदर आ जाते हैं। एक छात्रा ने बताया बारिश में तीन से चार यहां सांप दिखाई दे चुका है।
नए सत्र में शुरू नहीं हुई मैस
छात्राओं को रहने के लिए जगह नहीं है और उन्हें कम जगह पर खाना भी बनाना पड़ रहा है। बारिश में कमरों में पानी भर जाने से खाना नहीं बना पा रही हैं। छात्रावास में सितंबर की शुरूआत से ही मैस शुरू हो जानी थी लेकिन अब तक नहीं हुई है। छात्राओं ने बताया खाना मैस में नहीं मिल रहा है। इसके अलावा खाने के बचने वाले पैसे २०० रुपए प्रतिमाह जो हमें दिए जाते थे वो भी अभी तक नहीं मिले हैं।
कई लड़कियां चली गईं घर
ऐसे हालातों की वजह से कई लड़कियां बारिश में घर चली गई हैं और यहां उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। छात्रावास के हालात दो वर्षों से हैं। थोड़ी ही बारिश में यहां पानी भर जाता हैं। वहीं पहुंचमार्ग भी खराब है। बाहर सड़कों पर गड्डे हैं। इससे आने-जाने में भी परेशानी होती है।
अधीक्षक नहीं दे रही ध्यान
अधीक्षक विजया कार्लो ने छात्राओं की समस्या पर ध्यान नहीं दे रहीं है। शुक्रवार को भी वे छात्रावास में नहीं मिली। फोन बार बातचीत में बताया कि बारिश में परेशानी बड़ी है। अब सुधार करेंगे। मैस के लिए शासन स्तर से गूेंह और चावल नहीं मिले हैं, इसलिए शुरूआत नहीं हो पा रही।