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इस स्कूल के हालात एेसे हैं कि छात्राएं छाता लगाकर करतीं हैं पढ़ाई

locationसागरPublished: Sep 01, 2018 11:22:06 am

Submitted by:

sunil lakhera

एमएलबी स्कूल क्रमांक 2 के हालात

Students doing umbrella studies school

Students doing umbrella studies school

रेशु जैन
सागर. शहर में शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई स्कूल (क्रं2) का भवन जर्जर हो गया है, जो कभी भी जमींदोज हो सकता है। छात्राएं अपनी जान जोखिम में डालकर इसी भवन की छत के नीचे बैठकर बारिश में छाता लगाकर पढ़ाई करने मजबूर हैं। भवन निर्माण के लिए राशि स्वीकृत होने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। शुक्रवार को पत्रिका टीम ने स्कूल का जायजा लिया तो यह तस्वीर सामने आई। प्रशासन से भवन निर्माण की अनुमति मिलने के बाद डेढ़ करोड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं।
पत्रिका द्वारा नवंबर २०१७ में जर्जर भवन को लेकर खबर प्रकाशित की गई थी। इसके बाद शिक्षा विभाग द्वारा 88 लाख रुपए का प्रस्ताव बनाया गया था। डेढ़ करोड़ रुपए की मंजूरी भी दी गई। हाल ही में विभाग द्वारा 22 लाख रुपए की पहली किश्त जारी कर दी गई है, लेकिन टेंडर की प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं होने की वजह से निर्माण शुरू नहीं हुआ है। यहां कैंट प्रशासन द्वारा भवन निर्माण की अनुमति नहीं मिलने से यह काम अटका रहा था, अब अनुमति मिल गई है, लेकिन टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है।
खपरैल की है छत, लगता है डर
छात्राओं का कहना है कि हम परेशान हैं, यहां पढ़ाई नहीं हो रही है। बारिश में परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है। जर्जर भवन में घपरैल की छत है, जो कई स्थानों से गिर चुकी है। स्कूल में कक्षाओं के लिए अलग से कक्ष ही नहीं है। पूरा स्कूल एक हॉल में संचालित किया जा रहा है। इसमें अलग-अलग कक्षाएं लगाने के लिए बोर्ड लगाए गए हैं। सुबह प्राथमिक-माध्यमिक और इसके बाद दोपहर 12 बजे से हायरसेकंडरी स्कूल की कक्षाएं लगती हैं। स्कूल में लगभग एक हजार छात्राएं अध्यनरत हैं।
तीन बार आई राशि
भवन निर्माण के लिए आरएमएसए द्वारा तीन बार राशि स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन अधिकारियों के सुस्त रवैये से दो बार राशि लैप्स हो चुकी है। जिला शिक्षा अधिकारी संतोष शर्मा का कहना है कि स्कूल का संचालन कैंट बोर्ड में हो रहा है। कैंट इसकी निर्माण एजेंसी है। राशि स्वीकृति के बाद भवन निर्माण कैंट प्रशासन द्वारा किया जाएगा। इसके लिए टेंडर जल्द बुलाए जा रहे हैं और शीघ्र ही निर्माण कार्य कराया जाएगा।
कैंट की ओर से प्रस्ताव तो भेजा जा चुका है
कैंट की ओर से प्रस्ताव बनाकर समय पर भेजा जा चुका था। पिछले माह ही २२ लाख रुपए जारी हुए हैं, लेकिन टेंडर प्रक्रिया के दौरान मामला अटका हुआ है।
एसके जैन, सब इंजीनियर कैंट

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