scriptरिनोवेशन में क्षतिग्रस्त हुए फर्नीचर पर भड़के छात्रों का मुंह स्टोर का कबाड़ रखकर कराया बंद | Students were made angry by the rage of the store by raging on damaged | Patrika News

रिनोवेशन में क्षतिग्रस्त हुए फर्नीचर पर भड़के छात्रों का मुंह स्टोर का कबाड़ रखकर कराया बंद

locationसागरPublished: Feb 22, 2020 09:31:05 pm

-डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि के टैगोर हॉस्टल का मामला, दो साल पहले ३० लाख में खरीदे गए थे फर्नीचर

रिनोवेशन में क्षतिग्रस्त हुए फर्नीचर पर भड़के छात्रों का मुंह स्टोर का कबाड़ रखकर कराया बंद

रिनोवेशन में क्षतिग्रस्त हुए फर्नीचर पर भड़के छात्रों का मुंह स्टोर का कबाड़ रखकर कराया बंद

सागर. डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के टैगोर हॉस्टल में दो साल पहले उपलब्ध कराई गईं टेबल, कुर्सियां और रेक लापरवाही की भेंट चढ़ चुकी हैं। करीब ७० फीसदी फर्नीचर कबाड़ में बदल गए हैं। दरअसल इस हॉस्टल में रिनोवशन का काम कराया जा रहा है। बताया जाता है कि ठेकेदार द्वारा कमरों में रखे फर्नीचर को लापरवाही पूर्वक उठवाकर छत पर फिकवा दिया। इस वजह से यह फर्नीचर टूट फूट गए हैं। स्थिति यह है कि इनका उपयोग भी अब नहीं हो सकता है। इधर, छात्रों द्वारा जताई गई नाराजगी के बाद आनन-फानन में विवेकानंद हॉस्टल में स्टॉक में पड़े पुराने कबाड़ फर्नीचर उपलब्ध कराकर मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है।
जानकारी के अनुसार दो साल पहले हॉस्टल में नया फर्नीचर आया था। इसमें १३२ नग के हिसाब से टेबल, कुर्सी, रेक और पलंग आए थे। वर्तमान में पलंग को छोड़कर अन्य फर्नीचर ७० फीसदी तक खराब हो गए हैं।

-३० लाख में हुई थी खरीदी, जिम्मेदार मौन
फर्नीचर खरीदी पर विवि प्रशासन ने ३० लाख रुपए खर्च किए थे। इस मामले में जहां ठेकेदार दोषी है। वहीं, हॉस्टल प्रबंधन भी कहीं न कहीं जिम्मेदार है। रिनोवेशन के कार्य की जानकारी हॉस्टल प्रबंधन को पूर्व से थी। प्रबंधन चाहता तो समय रहते कमरे खाली कराकर फर्नीचर को सुरक्षित अन्यत्र रखवा सकता था, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। वहीं, ठेकेदार द्वारा भी काम कराने की जल्दबाजी के चक्कर में यह फर्नीचर क्षतिग्रस्त हुए हैं। हालांकि छात्रों को फर्नीचर उपलब्ध कराकर हॉस्टल प्रबंधन ने छात्रों को शांत करा दिया है। यही कारण है कि इस मामले की शिकायत अधिकारियों के कानों तक नहीं पहुंच पाई है। हालांकि जब इस मामले में चीफ वार्डन प्रो. देवाशीष बोस से फोन पर प्रतिक्रिया लेनी चाही तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

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