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कागजों में शहर हुआ ओडीएफ, आठ में से बन पाया सिर्फ एक सुलभ शौचालय

locationसागरPublished: Jan 13, 2019 08:38:05 pm

Submitted by:

sachendra tiwari

खुले में शौच जा रहे लोग

swachhata survekshan 2019

swachhata survekshan 2019

बीना. शहर को ओडीएफ का तमगा मिले हुए करीब डेढ़ वर्ष हो चुके हैं, लेकिन शहर खुले में शौच मुक्त नहीं हो पाया है। सिर्फ कागजों में ही अभी तक शहर ओडीएफ हो पाया है। यहां तक कि लोगों के घरों में बनने वाले शौचालय भी पूरे नहीं बन पाए हैं। साथ ही शहर में बनने वाले आठ सुलभ शौचालयों में से सिर्फ दो ही बन पाए हैं।
स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में नपा की रैंकिंग बढ़ाने के लिए खंभों पर छोटे-छोटे फ्लेग्स लगाकर लोगों को जागरुक करने का दिखावा किया जा रहा है और हकीकत यह है कि अभी तक शहर को खुले से शौच मुक्त भी नहीं करा पाए हैं। नगरपालिका द्वारा शहर में आठ सुलभ शौचालय बनाने का निर्णय लिया गया था, लेकिन अभी तक सिर्फ शिवाजी वार्ड में शौचालय तैयार हो पाया और मनोरमा वार्ड में काम चल रहा है। नईसब्जी मंडी के यहां गड्ढे भी हो गए थे, लेकिन बाद में यहां काम रुकवा दिया गया है। छह जगहों पर विवाद की स्थिति होने के कारण काम रोक दिया है और दूसरी जगह का चयन नहीं किया गया है। यदि दूसरी जगहों का चयन अभी तक कर लिया गया होता तो अभी तक सुलभ शौचालय बन जाते। लोगों के घरों में बनने वाले शौचालय भी पूरे नहीं बन पाए हैं और जो बने हैं उनमें गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया है।
मुख्य जगहों पर नहीं बने सुलभ शौचालय
शहर के सर्वोदय चौक, आंबेडकर तिराहा, गांधी तिराहा, महावीर चौक पर अभी तक सुलभ शौचालय नहीं बन पाए हैं, जबकि सबसे ज्यादा जरुरत इन्हीं जगहों पर हैं। यहां आने-जाने वाले लोगों को परेशानी होती है। सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं के लिए होती है। यहां नगरपालिका को सरकारी जमीन नहीं मिल पा रही है। लोगों द्वारा इस संबंध में कई बार अधिकारियों को ज्ञापन देकर मांग भी की जा चुकी है।
नहीं होती सार्वजनिक यूरिनलों की सफाई
शहर में जगह-जगह नपा द्वारा अस्थायी सार्वजनिक यूरिनल रखे गए हैं और इनके ऊपर एक पानी की टंकी भी लगाई है जो कभी भरी नहीं जाती है, पानी के अभाव और सफाई न होने के कारण यहां गंदगी पसरी हुई है। यहां जाने वाले लोगों को संक्रमण का खतरा बना रहता है। गंदगी अंदर से लेकर बाहर तक फैली हुई है।
विवाद के चलते रुका काम
शहर में बनने वाले आठ सुलभ शौचालय बनने थे, लेकिन जमीनी विवाद के कारण सिर्फ दो ही सुलभ शौचालय बन पाए हैं।
शिवराम साहू, सबइंजीनियर, नपा

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