सोमवार को चकराघाट, राजघाट बांध सहित अन्य जलाशयों पर पंडितों के सानिध्य में विधि-विधान से लोगों ने पितरों को जलांजलि देकर नमन किया। पितृपक्ष के चलते पखवाड़े भर पिण्डदान,श्राद्घ और ब्राम्हण भोज के आयोजन होंगे। परंपरागत रीति-रिवाजों के अनुसार संतानों ने पूर्वजों की आत्म शांति और सुख-समृद्घि का आशीर्वाद मांगा। शहर के चकराघाट, राजघाट एवं लेहदरा नाका सहित जिले के अन्य जलाशयों एवं घरों में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते हुए दिखाई दिए। सबसे ज्यादा भीड़ चकराघाट परिसर में देखी गई।
तिल और कुशा से करें तर्पण पंडितों के मुताबिक तर्पण ब्राम्हण के मार्गदर्शन में करना चाहिए। तालाब, नदी अथवा अपने घर में व्यवस्था अनुसार जवा, तिल, कुशा, वस्त्र आदि सामग्री के द्वारा पितरों की शांति, ऋषियों एवं सूर्य को प्रसन्न करने के लिए तर्पण किया जाता है। श्राद्घ कर्म पितरों की शांति, प्रसंन्नता के लिए किया जाता है। तर्पण सूर्योदय के समय करना चाहिए और शास्त्रों के मुताबिक गाय, कुत्ता और कौआ को भोजन कराना चाहिए।