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बुंदेलखंड के चप्पे-चप्पे में फैला है तस्करी का जाल, जंगल और वन्यजीवों का कर दिया सफाया

locationसागरPublished: May 16, 2022 12:40:32 pm

Submitted by:

Manish Gite

सागौन की तस्करी, शिकार और खनन माफिया सक्रिय, बुंदेलखंड में वन्यजीव तस्करों का जाल, बाघविहीन हो गया था पन्ना नेशनल पार्क, अंतरराष्ट्रीय तस्करों से जुड़े तस्करों के तार

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सागर। वन्य जीव के शिकारियों, लकड़ी के तस्करों और खनन माफिया का जाल बुंदेलखंड के चप्पे-चप्पे में फैला हुआ है। शिकारियों के तार अंतरराष्ट्रीय तस्करों से जुड़े हुए हैं। जिसने दुर्दांत वारदातों से पन्ना नेशनल पार्क को बाघविहीन कर दिया था।

गुना जिले में हुई शिकारियों की दुस्साहसिक वारदात जैसे हालात यहां भी बनते हैं। वन क्षेत्रों में वृक्षों की कटाई, वन्य जीवों का शिकार और खनन से हर माह होने वाली लाखों रुपए की कमाई ने माफिया के हौसले बढ़ा दिए हैं। जब कभी वन अमला सख्ती दिखाता है तो मोटी कमाई हाथ से जाते देख माफिया के इशारे पर लकड़ी चोरी, खनन और शिकार से जुड़े बदमाश वनकर्मियों से भिडऩे से भी नहीं चूकते। गत तीन वर्षों सागर- दमोह क्षेत्र में वन अमले पर हमले की तीन वारदातें सामने आ चुकी हैं। इनमें से एक वारदात में तो तस्कर रहली क्षेत्र में नौरादेही अभयारण्य से सटी वनचौकी पर हमला कर हथियार भी लूट चुके हैं। हालांकि इन वारदातों के बाद पुलिस हमलावरों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है लेकिन जंगल से होने वाली कमाई का लालच माफिया छोड़ नहीं सका है।

 

जुलाई 2020

रहली थाना क्षेत्र में नौरादेही अभयारण्य की मोहली रेंज स्थित आंखीखेड़ी चौकी पर अचानक रात में बदमाशों ने हमला कर दिया। हमलावरों ने चौकी पर फायरिंग की और वहां तैनात वनकर्मियों से मारपीट कर बंदूक और कारतूस लूट ले गए थे। पुलिस ने वारदात के बाद सागर और दमोह क्षेत्र से जब हमलावरों को गिरफ्तार किया तब हमले की वजह सामने आई थी। यह हमला इसलिए किया गया था क्योंकि कुछ दिन पहले ही वनकर्मियों ने जंगल से लकड़ी चुराने वालों पर सख्ती बरतते हुए उन पर केस दर्ज कर वाहन जब्त किए गए थे। माफिया के इशारे पर लकड़ी तस्कर वन अमले को सबक सिखाना चाहते थे।


सितम्बर 2020

दमोह के सिंग्रामपुर वन परिक्षेत्र विजयसागर बीट में देर रात वन विभाग के कर्मचारी पर हमला कर दिया गया था। पुलिस ने हमलावर को अगले ही दिन दबोच भी लिया था। वन रक्षक जोगेन्द्र सिंह आदिवासी (36) पर शारदा अहिरवार ने अपने पांच साथियों सहित हमला किया था। वनकर्मी को हमले के दौरान कुल्हाड़ी लगने से चोट आई थी। वनकर्मी ने लकड़ी चोरी करते पकड़े जाने पर हमलावरों के विरुद्ध वाहन जब्त कर प्रकरण दर्ज किया था। इसका बदला लेने के लिए ही उस पर जानलेवा मला किया गया था।


फरवरी-2022

देवरी से सटे जंगल में वन विभाग के कर्मचारी पर दो लोगों ने हमला कर दिया था। दोनों युवक जंगल से लकड़ी काटकर ले जा रहे थे। इसी दौरान वनकर्मी गश्त करते वहां पहुंच गया और जब उसने लकड़ी चुराने पर बाइक सवार युवकों को रोका तो वे भड़क गए और वनकर्मी से मारपीट कर धमकी देे ुहुए भाग निकले थे। इस मामले में भी देवरी पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर हमलावर को गिरफ्तार किया था।


हथियारों की कमी, डंडे और व्हिसल के भरोसे जंगल की निगरानी

जानकारी के अनुसार दो वर्ष पूर्व वनकर्मियों पर हमले की वारदात के बाद वन मुख्यालय द्वारा पुलिस विभाग में अनुपयोगी घोषित की गई 303 रायफल वनकर्मियों को उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया था लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी वनकर्मी जंगलों में टॉर्च और डंडा लेकर गश्त कर रहे हैं। हथियार भी इक्का- दुक्का वनकर्मियों को ही दिए गए हैं।

जंगलों में बेधड़क जारी है अवैध खनन और शिकार

वन क्षेत्रों की सीमा में खनन माफिया का बोलवाला है। गढ़पहरा के नजदीक जंगल से ईट-भट्टों के लिए हरदिन सैकड़ों ट्रॉली मिट्टी की खुदाई जारी है। राजस्व भूमि से सटे जंगल के पेड़ों को काटकर मिटï्टी खोद- खोदकर यहां खदान बना दी गई है। इसकी कई शिकायतें वन अमले तक पहुंची हैं लेकिन वन कर्मचारी इस ओर देखने तक नहीं पहुंचते। देवरी, जैसीनगर, राहतगढ़ और बण्डा- शाहगढ़ के जंगलों में अकसर वन्य जीवों के शिकार की वारदातें सामने आती हैं। नील गाय, हिरण, जंगली शूकर का शिकार करने के कई मामलों में पुलिस शिकारियों को दबोच भी चुकी है।

 

सलाखों के पीछे हैं अंतरराज्यीय शिकारी

वन क्षेत्रों में शिकारियों की सक्रियता पर वन अमला कसावट के लिए कई जतन कर चुका है। फिर भी शिकारी लेकिन कभी खेतों के आसपास बागड़ में करंट फैलाकर तो कभी जलस्त्रोतों के आसपास खाद्य सामग्री में लपेटकर रखे हथगोलों से शिकार जारी हैं।

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