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तेवरा और गढ़ौला जागीर के जलाशय सूखे, प्यास बुझाने भटक रहे मवेशी

सिंचाई विभाग द्वारा बनवाए गए तालाबों का बुरा हाल

सागरMay 22, 2019 / 01:08 am

vishnu soni

तेवरा और गढ़ौला जागीर के जलाशय सूखे, प्यास बुझाने भटक रहे मवेशी

खुरई. सिंचाई विभाग द्वारा बनवाए गए तालाब और खंती नवंबर माह से ही सूखना चालू हो जाते है। मार्च तक हालात यह होती है कि मवेशियों के पीने के पानी भी नहीं बचता है। खेती होने से तालाब उथले हो गए हैं, तालाबों को गहरीकरण करने का सिंचाई विभाग में कोई प्रावधान नहीें है खिमलासा रोउ पर स्थित तेवरा गांव का तालाब 84 एकड़ का है। वहीं गढौल़ाजागीर का तालाब करीब 125 एकड़ का है। पहले यह तालाब गर्मियों में भी भरे रहते थे। तालाबों में अवैध खेती के कारण यह उथले हो गए है। इससे इनमें पानी भराव की क्षमता कम हो गई है। खेती के लिए तालाब के पानी की सिंचाई के साथ पानी को खाली भी कर दिया जाता है। सिंचाई विभाग हर साल अवेध रूप् से खेती करने वाले किसानों पर जुर्माना लगाता है। सख्ती भी की जाती है, लेकिन सिंचाई विभाग तालाब के कुछ हिस्से को खेती के लिए दे देता है। ऐसे में पूरे तालाब पर कब्जा हो जाता है। तेवरा के तालाब में कई सालों से खेती की जा रही है। लोगों के मुताबिक दोनों ही गांवों के तालाबों में दिसम्बर में ही पानी कम हो गया था। मई में तो यह हाल हो गए है कि मवेशी भी प्यास बुझाने यहां-वहां भटक रहे है। रामकिशोर का कहना है कि बरसात में तालाब में पानी लबालब भरा था, लेकिन दिसंबर में पानी खाली हो गया। तालाब पूरी तरह सूखा है। पहले पानी रहने पर इस तालाब में अप्रवासी पक्षी भी आते थे। सुखने पर मवेशी, पक्षियों के साथ-साथ लोग परेशान हो रहे हे। लेकिन तालाब में खेती करने वालों की वजह से समय से पहले ही खाली हो जाता है।

खेल का मैदान बन जाता है ताल

गढ़ौला जागीर का तालाब 125 एकड़ का है। यह तालाब चंदेल कालीन है। सिंचाई विभाग ने सिर्फ इसमें नहरें निकाली थी लेकिन नहरें टूट गई है। इनकी मरम्मत भी नहीं हुई। तालाब उथला हो गया है। गांव के पूर्व जनपद सदस्य दिलीप सिंह राजपूत का कहना है कि तालाब का गहरीकरण कराने का हर साल प्रयास करते है। तालाब का अगर गहरीकरण हो जाए और खेती पर रोक लगाई जाए तो तालाब के पानी से दस गांवों के लोगों को खेती के लिए पानी मिलेगा और गार्मियों में भी पानी रहेगा। तालाब में पानी रहने से जल स्तर भी नहीं गिरेगा। जो हैंडपंप गार्मियों में पानी देना बंद कर देते है। उनसे भी पानी मिलेगा। मनरेगा से तालाब का गहरीकरण हो सकता है, कुछ वर्ष पूर्व तेवरा तालाब का गहरीकरण एवं मरम्मत का कार्य मनरेगा द्वारा कराया गया था।

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