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world population day 2019 : बेतहाशा बढ़ेगी बेरोजगारी, कम होती जाएगी हरियाली, पीने को नहीं बचेगा पानी

locationसागरPublished: Jul 11, 2019 03:12:27 am

Submitted by:

govind agnihotri

इससे पहले कि हमें आने वाली पीढ़ी कोसे, जागरूक होकर जनसंख्या विस्फोट को रोकना होगा

The challenges of population growth

The challenges of population growth

सागर. जिले में भूमि, जंगल, पेयजल समेत अन्य के सीमित संसाधन हैं लेकिन इनको दोहन करने वालों की संख्या हर साल बढ़ती ही जा रही है। प्रति व्यक्ति जनंसख्या घनत्व कम होता जा रहा है। भूजलस्तर साल-दर-साल गिरता जा रहा है। वन संपदा सिमटती जा रही है। एेसे में प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के साथ आबादी के हिसाब से इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे स्कूल, अस्पताल, परिवहन के साधनों में इजाफा नहीं किया गया तो आने वाली पीढि़यों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। पत्रिका ने विश्व जनसंख्या दिवस पर अलग-अलग फील्ड के विशेषज्ञों से उनकी राय जानी कि वह आने वाले समय को कैसे देखते हैं। सभी ने संसाधनों को बढ़ाने के साथ इनके सीमित उपयोग की वकालत की है ताकि आने वाली पीढि़यों को अच्छा माहौल दे सकें।

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टेक्नोलॉजी से बेरोजगारी बढ़ेगी

टेक्नोलॉजी के दो पहलू हैं, जिसमें फायदा और नुकसान दोनों हैं। इसमें एक ओर जहां लोगों को स्मार्ट सिटी के तहत स्मार्ट क्लास रूम, ई-लाइब्रेरी, स्मार्ट पोल, स्मार्ट पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसी सुविधाएं मिलेंगी, जिससे कम समय में ज्यादा काम हो सकेगा, लेकिन दूसरी ओर की बात करें तो जनसंख्या वृद्धि के साथ टेक्नोलॉजी के कारण बेरोजगारी भी बढ़ेगी। आज वल्र्ड टेक्नोलॉजी आगे है, कई कंपनियां इतनी हाइटेक हो चुकी हैं कि उनमें मैनपावर की जगह रोबोट काम कर रहे हैं। पहले मजदूर जो काम करते थे आज वो मशीनरी कर रही है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत की शहरी जनसंख्या 2031 तक 60 करोड़ के करीब हो जाएगी और तब स्थिति बहुत विकराल होगी।
दीपेंद्र सिंह राजपूत, आईटी एक्सपर्ट

स्कूलों में बढ़ानी होगी सुविधाएं
जनसंख्या वृद्धि का सबसे ज्यादा भार स्कूल शिक्षा पर ही होता है। विधार्थियों की संख्या बढऩे से सबसे बड़ी चुनौती उनको उच्च-स्तरीय शिक्षा और स्वस्थ शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध कराना होती है। शैक्षणिक संसाधन एवं सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार के लिए चुनौती होता है वहीं शैक्षणिक वातावरण समाज के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। जनसंख्या वृद्धि से इस चुनौती में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जाती है। सागर जिले वर्तमान लगभग ३००० शासकीय स्कूल है और लगभग 700 प्राइवेट स्कूल हैं। लगभग २ लाख बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। आने वाले समय मे शासकीय स्कूलों में मुख्य समस्या विद्यार्थियों की दर्ज संख्या की होगी। ज्यादातर स्कूल मूलभूत सुविधाओं जैसे पेयजल, शौचालय, भवन, आदि से वंचित हैं शिक्षा का स्तर भी गुणवत्ता विहीन है।
जेपी पाण्डे, सेवानिवृत्त प्राचार्य

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बढ़ाने होंगे उद्योग-धंधे

इन्ही सुविधाओं की कमी की वजह से सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं। यहां मध्यान्ह भोजन, यूनिफार्म और साइकिल वितरण जैसी योजनाओं का लाभ विद्यार्थियों तक नहीं पहुंच रहा है। रोजगार कार्यालय में जून 2019 की स्थिति के मुताबिक जिले में अभी 1 लाख 16 हजार 17 आवेदन पंजीकृत हैं, यानी अभी 1 लाख से अधिक लोगों के लिए रोजगार की दरकार है। इसमें पुरूष की संख्या 73080 और महिला की संख्या 42937 है। सरकारी और सार्वजविक क्षेत्रों में कम नौकरी की वजह से ये बेरोजगारी बढ़ रही है। अधिकांश युवा शासकीय नौकरी को प्रमुखत: देते हैं। ग्रेजुएट के बाद निजी क्षेत्र में कंपनी काम के अनुसार वेतन नहीं दे रही हैं, इससे युवाओं का रूझान घट रहा है। सागर जिले में लघु और बड़े उद्योग दोनों ही नहीं है। ऐसे में अब आने वाले समय में ऐसे उद्योग धंधे सरकार को लगाने होंगे।
अभिषेक सिंघई, रोजगार कार्यालय

लोगों के हाथ में है भूजलस्तर
भूजलस्तर के लिए जब तक प्रयास नहीं होंगे तो फिर कुछ भी नहीं होगा। वर्तमान में जो स्थिति है यदि एेसे ही प्रयास हुए तो फिर जिले समेत पूरे प्रदेश में आने वाले एक दशक में भूजलस्तर लगभग गायब ही हो जाएगा। वह जमीन में इतनी गहराई पर पहुंच जाएगा कि उसको ऊपर लाना इतना आसान नहीं होगा। इस समस्या से बचने के लिए नदियों को जोडऩे के लिए तेजी से काम करना होगा। इससे बहुत बड़ा एरिया रिचार्ज होगा। हर घर में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य करना होगा। इसकी मॉनीटरिंग बहुत ही सख्ती के साथ होनी चाहिए। आर्टीफिशियल रिचार्ज ऑफ ग्राउंड वाटर के लिए डिट्ज एंड फरो की पद्धति पर काम करना होगा। जिसके तहत नदियों और नालों के बहाव की दिशा को मोड़कर दूसरे जगह तक ले जाते हैं। इससे ग्राउंड वाटर रिचार्ज होता है।
डॉ. मनीष पुरोहित, भूगर्भशास्त्री

घट रही वन संपदा
जिले में वर्तमान की स्थिति में करीब 2300 वर्ग किलोमीटर वनक्षेत्र है। वर्तमान परिस्थिति के अनुसार तो ठीक है, लेकिन जिस हिसाब से प्रकृतिक परिवर्तन हो रहे हैं, उससे आने वाले समय को लेकर अभी से चिंता करना जरूरी है। अभी यह देखने में आया है कि आमजन का सहयोग नहीं मिल रहा है, यही कारण है कि जलस्तर नीचे जा रहा है, साल-दर-साल तापमान बढ़ रहा है, वनों का क्षेत्रफल घट रहा है। आने वाले समय में जनसंख्या में वृद्धि निश्चित है और संतुलित व स्वस्थ पर्यावरण के लिए जल, जमीन और वनों को बचाना बेहद जरूरी है, नहीं तो स्थिति लगातार बिगड़ेगी। नेचुरल टोपोग्राफिक फीचर को बढ़ावा देना होगा। इसके तहत यदि तीन तरफ से पहाड़ है तो एक तरफ से उसको बंद करके आसानी से बांध बनाया जा सकता है।
एएस तिवारी, मुख्य वन संरक्षक, सागर

दोगुना हो जाएगा यातायात का दबाव
उपयोगिता और मांग के चलते लगातार छोटे-बड़े वाहनों की संख्या बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2018 में सागर जिले में करीब 46,278 बाइक, 3,873 कार-जीप और 5,476 बस, ट्रक, ट्रैक्टर व अन्य भारी कमर्शियल वाहनों का रजिस्टे्रशन कराया गया है। अप्रैल-18 से मार्च-१९ के बीच 12 माह की अवधि में जिले में 55,627 वाहन लोगों द्वारा खरीदे गए हैं। इस लिहाज से जिले में हर साल लगभग 55 से 60 हजार वाहनों की वृद्धि हो रही है। फिलहाल जिले में छोटे-बड़े 7 लाख वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इनमें करीब 5 लाख बाइक, एक लाख करीब कार-जीप और वैन, करीब 80 हजार लोडिंग, सवारी रिक्शा-ऑपे, चैंपियन और अन्य कमर्शियल वाहन शामिल हैं। इन वाहनों के अलावा अगले १२ वर्षों यानी 2031 तक जिले की सड़कों पर लगभग 7 लाख नए वाहनों का भार बढ़ जाएगा। जिले में अभी इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति लोगों में रुझान नहीं है। परिवहन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार पिछले एक साल में केवल 20 इलेक्ट्रिक बाइक-स्कूटर खरीदे गए हैं। वहीं कमर्शियल वाहनों के रूप में भी केवल 3 सवारी रिक्शे और 7 गुड्स व्हीकलों की खरीदी हुई है। जबकि सामान्य वाहनों की अपेक्षा इलेक्ट्रिक वाहनों पर एक से दो प्रतिशत कम टैक्स लिया जा रहा है। कमर्शियल वाहनों की खरीदी को भी शासन स्तर पर प्रोत्साहन देने की योजना है।
संजय खरे, डीएसपी ट्रैफिक, सागर

सिंचाई व पेयजल के संसाधनों पर गौर करना होगा
जनसंख्या में हो रही लगातार वृद्धी के चलते जिले में सिंचाई व पेयजल के संसाधनों पर गौर करना होगा। मालूम को कि, जनसंख्या में 19991 के बाद जिले में 45 प्रतिशत वृद्धी के साथ 2011 में जनसंख्या 2378458 दर्ज की गई थी। जिले में सरकारों ने पेयजल की उपलब्धता बनाए रखने के लिए हेंड पंपों व नल जल योजनाओं पर फोकस किया साथ ही खेतों की प्यास बुझाने सिंचाई परियोजनाओं पर कार्य आरंभ किया है। इसके अलावा भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने बारिश के पानी को जमीन के अंदर पहुंचाना। एक अनुमान के मुताबिक 2031 तक जिले के जनसंख्या बढ़ कर दो से ढाई गुना होने की संभावनाएं हैं। एेसे में सिंचाई की परियोजनाओं के साथ ही पेयजल की योजनाओं में वृद्धी करना होगी। वर्तमान में जिले में करीब एक दर्जन परियोजनाएं चल रही हैं, इन परियोजनाओं में पेयजल की भी व्यवस्था भी शामिल है। परियोजनाओं में जलाशय के साथ ही बांध भी शामिल हैं। परियोजनाओं से जिले की 32 हजार हेक्टेयर से ज्यादा की भूमि सिंचित होगी साथ ही लोगों को पेयजल भी मुहैया कराया जाएगा। बीना नदी बहुद्देशीय परियोजना, पंचमनगर मध्यम परियोजना, सतघारु मध्यम परियोजना, परकुल बांध सोनपुर बांध, कड़ान मध्यम तथा कैथ मध्यम परियोजना शामिल हैं।

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