दो साल पहले शहर में नर्सिंग होम एस्टेब्लिसमेंट एक्ट के जरिए शहर के नर्सिंग होम पर छापेमार कार्रवाई की गई थी। लेकिन इस दौरान गर्भपात केंद्रों की कोई पड़ताल नहीं की गई। वहीं, ४ साल से गर्भपात केंद्रों के रेकार्ड भी चैक नहीं किए गए हैं। हालांकि बताया जाता है कि जहां-जहां गर्भपात हो रहे हैं। वहां से रिपोर्टिंग सतत रूप से की जा रही है। सूत्रों की माने तो भाजपा पार्षद पति द्वारा पीडि़ता के गर्भपात की जानकारी संबंधित संस्था ने स्वास्थ्य विभाग को नहीं भेजी है।
यह ध्यान रखना होगा
महिला का पूरा नाम, पता व कारण, जिसकी वजह से गर्भपात जरूरी हो।
गर्भपात के लिए महिला या अभिभावक की अनुमति जरूरी है।
गर्भपात के समय गर्भधारण के समय के हिसाब से डॉक्टर की मौजूदगी अनिवार्य है।
12 हफ्ते का गर्भ होने पर गर्भपात एक महिला डॉक्टर की मौजूदगी में भी हो सकता है
12 से 20 हफ्ते का गर्भ रहने पर दो डॉक्टर का मौजूद रहना जरूरी होगा।
स्त्रीरोग विशेषज्ञ एमबीबीएस, एमएस, एबीबीएस डीजीओ डिग्री धारक ही गर्भपात करा सकेंगे।
गर्भपात की दवाएं सिर्फ स्वास्थ्य विभाग में पंजीकृत सेंटरों पर ही उपलब्ध होंगी।
अन्य किसी भी निजी अस्पताल या दवा की दुकान पर ऐसी दवाएं रखने की अनुमति नहीं होगी
यह होनी चाहिए सुविधा
गर्भपात केंद्र पर ओटी होना जरूरी
स्त्रीरोग विशेषज्ञ एमबीबीएस, एमएस, एबीबीएस डीजीओ डिग्री धारक होना जरूरी।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित फिक्स दवाएं होना चाहिए।
मेरे पास इस तरह की यदि कोई शिकायत आती है तो निश्चित रूप से संबंधित नर्सिंग होम की जांच कराई जाएगी। जहां तक ससत कार्रवाई की बात है तो जल्द ही विशेष अभियान शुरू कर गर्भपात केंद्रों की पड़ताल कराई जाएगी।
डॉ. एमएस सागर, सीएमएचओ