श्रीराम कथा
सागर
Published: May 09, 2022 09:02:18 pm
बीना. बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्रकृष्ण शास्त्री ने सोमवार को दूसरे दिन की श्रीराम कथा सुनाई। दूसरे दिन श्रीराम नाम की महिमा और सत्संग की महिमा को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि श्रीराम से बड़ा उनका नाम है। नाम की महिमा से पत्थर भी पानी में तैरने लगते हैं। भगवान का नाम कल्याण करने वाला है और सभी को भगवान का नाम लेना चाहिए और बच्चों का नाम भी भगवान के नाम पर ही रखें। जिसने श्रीराम का नाम नहीं लिया वह मुर्दा के समान है। सूरदास महाराज ने नाम के प्रभाव से मुर्दा को जिंदा कर दिया था। सिर्फ रा बोलने से मुर्दा में जान आ गई थी और म बोलते ही व्यक्ति खड़ा हो गया था। उन्होंने कहा कि कथा हर रोज सुननी चाहिए, क्योंकि कौन सा शब्द चोट कर जाए और श्रीराम के भक्त बन जाओ। कथा श्रवण करने हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, जिससे पंडाल छोटा पडऩे लगा है। कथा स्थल पर समिति से अनिल पटैरिया, रवि दीक्षित, कृष्णमुरारी देवलिया, राकेश तिवारी, संजू ठाकुर आदि उपस्थित थे।
सत्संग से आता है विवेक
पीठाधीश्वर ने कहा कि सत्संग करने से ही विवेक आएगा। सत्य की चर्चा ही सत्संग है और सत्य श्रीराम हैं। श्रीराम की कृपा के बिना सत्संग नहीं मिलता है। उन्होंने कहा कि संगत और पंगत सावधानी पूर्वक करना चाहिए, नहीं तो ऐसा घाटा खाओगे की जीवन नहीं भूल पाओगे। संगत अच्छी हो तो जीवन सुधर जाएगा और अच्छा आहार लेने से व्यवहार सुधर जाता है और व्यवहार से परिवार शुद्ध होता है। माता-पिता बच्चों की संगत पर नजर रखें।
सोयी हुई सनातन परंपरा जगाने जा रहे हैं विदेश की धरती पर
पत्रकारों से चर्चा करते हुए पीठाधीश्वर ने विदेश यात्रा के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि विदेश की धरती पर वह घूमने नहीं जा रहे हैं, बल्कि सोयी हुई सनातन परंपरा को जगाने जा रहे हैं। उन्होंने कहा भारत वैदिक परंपरा के कारण महान रहा है और आदर्श बना है। इसे पुनर्जीवित करने भारत सरकार से गुरुकुलों की पद्धति शुरू करने की बात करते आ रहे हैं, जिससे आदर्श, मर्यादा स्थापित हो सके और भारतीय संस्कृति का प्रचार हो सके। उन्होंने कहा कि एक संस्कृत गुरूकुल खोलने की इच्छा उनकी भी है, जिसमें संस्कृत, अंग्रेजी, विज्ञान, अस्त्र, शस्त्र आदि की शिक्षा दी जाएगी। कोरोना खत्म करने के लिए वेदों की ओर लौटना होगा और हवन, यज्ञ, गौ माता का पालन करना होगा। क्योंकि जो दशा गौ माता की हुई वह इंसान की हुई है। नई पीढ़ी नशा से बचे।
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