सागरPublished: Feb 25, 2019 08:59:37 pm
anuj hazari
ग्राम कंजिया में अधिकारियों की उदासीनता से पीएम आवास को भटक रहे लोग
The people forced to stay polythene above the houses in this village
बीना. ग्राम कंजिया में करीब तीन सौ से ज्यादा परिवार नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। जहां एक ओर पीएम आवास योजना का हवाला देकर भाजपा ने वोट मांगकर अपनी राजनीति की। तो वहीं दूसरी ओर हकीकत कुछ और ही बयां करती है। यही कारण है कि अभी सैकड़ों लोग कच्चे मकान में, तो कोई घास-फूस की झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। रविवार को पत्रिका टीम ग्राम कंजिया पहुंची। यहां पता चला कि करीब तीन सौ परिवार अभी भी कच्चे मकान में रह रहे हैं। जिनमें से करीब सौ आदिवासी परिवार ऐसे हैं जिनका जीवन किसी नर्क से कम नहीं हैं, क्योंकि न तो उन्हें पीएम आवास योजना का लाभ मिल सका है न ही अधिकारी उन्हें इसका लाभ दिलाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। कई बार जनपद पंचायत में शिकायतें करने के बाद भी अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा है। जो कुंभकरणीय नींद लगाए सो रहे हैं और लोग परेशान हो रहे हैं। गांव में रहने वाले श्रीराम आदिवासी, गुड्डा आदिवासी, करण आदिवासी, अनंदी आदिवासी, रामस्वरुप आदिवासी, नत्थे आदिवासी, अमरसिंह आदिवासी, रामबाबू आदिवासी, कल्लू आदिवासी, जालम आदिवासी सहित अन्य लोग कई दिनों से अधिकारियों से पीएम आवास के लिए नाम जुड़वाने की गुहार लगा चुके हैं। वहीं गांव में रहने वाली नीमा व उसका पति दिव्यांग हैं जो मजदूरी करके परिवार चलाते हैं। इनका सामर्थ नहीं है कि वह कच्चे मकान की मरम्मत भी कर सकें। इन परिवारों को अभी तक पीएम आवास का लाभ मिला जाना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। कढ़ाके की ठंड में यह परिवार झोपड़ी में चारों तरफ से पॉलीथिन लगाकर रह रहे हैं।
सचिव, सहायक सचिव की नहीं रुचि
ग्रामीणों ने बताया कि सचिव व रोजगार सचिव कभी कभार ही गांव आते हैं वह न तो गांव वालों की समस्या सुनते हैं न ही उसका निराकरण करने में रुचि दिखाते हैं। इस बार भी ऐसा ही कुछ हुआ है। जानकारी के अनुसार पीएम आवास में हितग्राहियों के रजिस्टे्रन के लिए कुछ ही दिन शेष बचे हंै। इसके लिए अभी भी करीब तीन सौ परिवार इसकी राह देख रहे हैं। अगले माह से लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने वाली है यदि उसके पहले सभी पात्र हितग्राहियों की फींडिग पोर्टल पर नहीं की गई तो लोग इसका लाभ लेने से बंचित रह जाएंगे।
चार फुट की झोपड़ी में भी रह रहा परिवार
गांव में रहने वाली विमालाबाई रैकवार चार फुट की झोपड़ी में अपनी एक बेटी व बेटे के साथ रह रही हैं। बेटा मानसिक रुप से विक्षिप्त है तो वहीं बेटी दिव्यांग हैं। जिसके कारण वह मजदूरी करने के लिए भी नहीं जा पाती है। घर चलाने के लिए सप्ताह में कुछ दिन काम करके परिवार का पालन-पोषण करती है। ऐसे परिवारों के लिए लाभ नहीं मिल सका है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकारी कितनी गंभीरता से काम कर रहे हैं।
प्राथमिकता से दिखवाते हैं
मुझे इसकी जानकारी नहीं थी अब जानकारी लगी है। प्राथमिकता से निरीक्षण कराके पात्रों को पीएम आवास का लाभ दिलाया जाएगा।
सुरेन्द्र साहू, सीईओ, जनपद पंचायत, बीना