बातचीत के प्रमुख अंश
सवाल- जिस मिट्टी में जन्म लिया वहां महामंडलेश्वर बनकर आने पर कैसा महसूस कर रहे हैं-
जवाब- हमारे शास्त्रों में जननी और जन्मभूमि की तुलना स्वर्ग से भी बढ़कर की गई है। मैं इस मिट्टी का ऋण जीवनभर नहीं भूल सकता, जिस मां की कोख ने मुझे जन्मा। कुलदेवी की ही कृपा है कि आज मैं यहां तक पहुंचा हूं। हमें कभी भी जननी और जन्मभूमि को नहीं भूलना चाहिए।
सवाल- समाज में आज रिश्तों की मर्यादा तार-तार हो रही है। इसके पीछे आप किसे जिम्मेदार मानते हैं।
जवाब- देश में तेजी से पाश्चात्य संस्कृति हावी होती जा रही है। इसके अलावा गलत और तामसिक खानपान मुख्य कारण हैं। हमारे धर्मग्रंथों में भी लिखा है कि जैसा खाओगे अन्न, वैसा होगा मन। अन्न का हमारे मन पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। सबसे पहले हमें अपना भोजन सात्विक करना होगा। गलत खानपान से मन में गलत विचार आते हैं जो कर्मों के रूप में सबके सामने आते हैं। यदि छह माह तक गोमूत्र का सेवन कर लिया तो हमारे व्यक्त्तिव में देवत्व उत्पन्न हो जाता है।
सवाल राम जन्मभूमि मामले में आप क्या कहेंगे-
जवाब: भगवान पूरे सनातन धर्म और हिंदू समाज के आराध्य देव हैं। अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर बनना चाहिए और बनकर रहेगा। इसका पूरा संत समाज समर्थक है। जब ढांचा गिराया गया तो उस दौरान रासुका लगने पर मैं एटा में 42 दिन जेल में बंद रहा। रामजन्मभूमि में मंदिर बनना पूरे समाज की आस्था से जुड़ा है। मैं इसका समर्थक हूं।
सवाल- कुछ साधु-संतों के कथित आचरण से आज पूरा संत समाज कटघरे के घेरे में हैए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं।
जवाब:- अकेले संतों से गलती नहीं हुई है। समाज के सभी वर्गों से धर्म विरुद्ध आचरण के मामले सामने आते हैं। चूंकि साधु समाज से अपेक्षा रहती है कि वह समाज के मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत हैं इसलिए उनका आचरण और कर्म श्रेष्ठ हों। इसके लिए पूरे संत समाज को कारणों के पीछे विश्लेषण की आवश्यकता है। संतों को अपना आचरण सुधारना होगा। अपना खानपान सात्विक और धर्मसंगत बनाना होगा।
सवाल- सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए आपकी क्या योजना है-
जवाब- पिछले 19 साल से समाज में शांति, सद्भाव और कल्याण के भाव से सेवा में लगा हूं और आगे भी यही उद्देश्य है कि समाज को एक सूत्र में पिरोने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा। विश्व कल्याण के लिए निकल पड़ा हूं अब शेष जीवन समाज के लिए है। पहले परिवार में दो.चार लोग थे अब तो पूरा विश्व ही परिवार का हिस्सा बन गया है।