मां शक्ति की भक्ति में डूबे श्रद्धालु
सीहोरा. चैत्र शारदीय नवरात्र में क्षेत्र के श्रद्धालु मां शक्तिकी भक्ति में लीन है। प्रात: काल से ही देवी मंदिरों में जल अर्पित व पूजा अर्चना करने वालों की कतारें लग रही हैं। मंदिरो में नौ दिनों तक अखंड भजन कीर्तन, देवी भक्तो एवं अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। दिवालयों पर ज्वारे भी लगाए गए हैं। जहां अखण्ड ज्योति प्रज्जवल कर पूजा अर्चना की जा रही है। क्षेत्र के प्रसिद्ध देवी माता मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान किए जा रहे हैं। जहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। इनमें स्थानीय भटूआ स्थित मां खैरापति का मंदिर ग्राम से दो किमी दूर होने के बाद भी
श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। यहां प्रति वर्ष नवरात्र की नवमीं पर मेले का आयोजन किया जाता है। चैत्र नवरात्र पर श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन भी किया जा रहा हैं। इसके साथ ही बेरखेड़ी सड़क से तीन किमी दक्षिण में ग्राम टेहरा में पहाड़ी पर स्थित मां ज्वाला देवी मंदिर, बेरखेडी के उत्तर में मरदानपुर ग्राम में मां विजासेन मंदिर में भी आस्था का केंद्र बना हुआ है।
पटनाबुजुर्ग. रानगिर के जंगल की सुरम्यवादियों में देहार नदी के तट पर रानगिर में विराजमान हरसिद्धि देवी का शक्ति पीठ स्थित है। रानगिर पीठ बुंदेलखंड क्षेत्र का देवी आराधना एवं शक्ति साधना का अति प्राचीन एवं प्रसिद्ध केंद्र है। रानिगर माता की पूजा अर्चना एवं दर्शन से भक्तों का मनोरथ सिद्ध होता है। हरसिद्धि माता के दरबार में वैसे तो वर्षभर मेले जैसा माहौल रहता है, लेकिन शारदेय एवं चैत्र नवरात्रि पर देवी के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। दूर-दूर से भक्तजन पहुंचते हैं। कई परिवारों में हरसिद्धि माता की कुलदेवी के रूप में पूजा होती है। माता के बारे में मान्यता है कि वे दिन में तीन अलग-अलग रूपों में भक्तों को दर्शन देती हैं। प्रात: काल में माता सौम्य कन्या के रूप में, दोपहर वाद युवा शक्तिके स्वरूप में एवं सायं काल में वृद्ध माता के रूप में दर्शन देतीं हैं। देहार नदी के एक तट पर हरसिद्धि माता का मंदिर है तो नदी के दूसरे तट पर घने जंगल के बीच बूढ़ी रानगिर माता का स्थान है, यहां पैदल चलकर ही पहुंचा जा सकता है। यह स्थान माता का प्राचीन एवं उद्गम स्थल बताया जाता है।