सागर

‘रहली के झाड़ी में विराजे पवनसुत हनुमान का दायां पैर हैं पाताल में’

हनुमान जन्मोत्सव आजThe right foot of Pawansut Hanuman, who sits in the bush, is in Hades.

सागरApr 16, 2022 / 02:06 am

हामिद खान

The right foot of Pawansut Hanuman, who sits in the bush, is in Hades.

सागर/रहली (पंकज शर्मा) . जबलपुर रोड बाईपास सुनार और देहार नदी भैंसा नाला के संगम स्थल के नजदीक सुरम्य वादियों में झाड़ी नामक एक स्थान है यहां पर मंदिर में हनुमान जी विराजमान है कहते हैं। कहा जाता है कि इन हनुमान जी का एक पैर जमीन के अंदर कितनी गहराई में है। यह किसी को पता नहीं इसलिए इन्हें पातालिया हनुमान के नाम से जानते हैं सिद्ध क्षेत्र पर हर मंगलवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं अनुष्ठान करते हैं।
पंडित मधुसूदन दुबे बताते हैं कि यहां हनुमान जी की बहुत ही विस्मयकारी विलक्षण प्रतिमा है जो खड़े मुद्रा में एक पैर मुड़ा हुआ है और दाया पैर पाताल तक है। वे बताते हैं कि एक बार स्थानीय श्रद्धालुओं के बीच प्रतिमा को दुर्गम स्थान से बाहर निकालकर सुनार नदी के तट पर प्राण प्रतिष्ठा करने का विचार आया तो लोग जुटे और खुदाई करने लगे कहते हैं कि खुदाई करते करते जमीन में पानी निकल आया लेकिन पैर कहां तक है इसका पता नहीं चला तब से अब तक फिर किसी ने प्रतिमा के दूसरी जगह स्थापित करने की जरूरत नहीं की बल्कि हनुमान जी के प्रति आस्था इतनी बड़ी कि लोग झाड़ी वाले पाताली हनुमान के नाम से जानने लगे और यही पूजा करने लगे कहते हैं कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से मन्नतें करता है भगवान वह मुराद पूरी करते हैं।
पास में है नर्मदा झिरिया- स्थानीय निवासी लोकेश पुराणी, अखिलेश श्रीवास्तव, भूपेंद्र ठाकुर बताते हैं कि झाड़ी के मंदिर के पास नर्मदा झिरिया है। जिसका जल हनुमान जी को अर्पित होता है किवदंती है कि एक बाबा थे जो उपासना करते थे। वह मां नर्मदा के जल से प्रतिदिन स्नान करते थे जब वृद्धावस्था हुई तो बाबा ने मां नर्मदा से प्रार्थना की कि हे मां नर्मदे अब मैं स्नान करने नहीं आ पा रहा हूं आप यहां कहीं पर मुझे दर्शन दे एक बार बाबा को सपना आया कि मंदिर के पास ही खुदाई कर लो तो फिर पास में खुदाई की गई और थोडी सी ही गहराई में ही जलधारा प्रकट हुई मान्यता है कि इस झिरिया में कभी पानी कम नहीं होता और भीषण से भीषण गर्मी के समय भी झिरिया में से पानी निकलता रहता है
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