दरअसल, हाल ही में सरकार ने 15 साल पुरानी बसों को सड़क पर दौडऩे के लिए प्रतिकूल माना है। इस संबंध में सरकार ने नियम भी लागू कर दिया है। स्कूल बस चालकों का कहना है कि यात्री बसें जो लगभग 400 किमी प्रतिदिन चलती हैं, उनके लिए 20 साल का प्रावधान है, जबकि स्कूल बसें महीने में 400 किमी चल पाती हैं, उन पर यह मॉडल कंडीशन रखी जा रही है। दोपहर २ बजे बड़ी संख्या में सरकार की नीति के विरोध स्वरूप स्कूल बस यूनियन के बैनर तले बस संचालकों ने अपने-अपने वाहन बेचने का निर्णय लिया है। संरक्षक प्रदीप जैन ने बताया कि स्कूली बसें साल में 178 दिन ही चलती हैं। बाकी समय खड़ी रहती हैं।
2014 से बसों का किराया नहीं बढ़ाया गया है। जबकि डीजल, फिटनेस, बीमा, लीज और अन्य प्रकार के दस्तावेजी काम के लिए फीस कई गुना बढ़ चुकी है। उन्होंने बताया कि फीस न बढऩे से स्कूली बसों का संचालन घाटे में चल रहा है। आए दिन परिवहन विभाग द्वारा की जाने वाली कार्रवाई से बस मालिकों को आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है।
इस मामले में स्कूल बस यूनियन का एक दूसरा गुट इस तरह के कदम को अनुचित बता रहा है। यूनियन अध्यक्ष रामकृष्ण पांडेय का कहना है कि उनका यूनियन रजिस्टर्ड है और वह इस विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं है। हमारी मांगें वही हैं, लेकिन बसों को सेल करने के लिए उठाए गए कदम का उनका यूनियन समर्थन नहीं करता है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में जल्द ही गृह मंत्री से मुलाकात कर किराया बढ़ाए जाने और बसों का संचालन २० साल तक ही रहने की मांग की जाएगी। सचिव गणेश प्रसाद ने बताया कि इंदौर हादसे के बाद आरटीओ द्वारा केवल उन बसों पर कार्रवाई की जा रही है जो नियम विरुद्ध चल रही हैं। यूनियन इस कार्रवाई का विरोध नहीं कर रहा है।
बस मालिकों ने बताया कि इंदौर हादसे के बाद परिवहन विभाग द्वारा दर्जनों स्कूली बसों पर चालानी कार्रवाई की गई। बसों में सीसीटीवी कैमरे न लगे होने पर भी यह कार्रवाई की। संचालकों का आरोप है कि किराया बढ़ाए जाने को लेकर इसी महीने दो बार क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी को ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन अभी तक किराया नहीं बढ़ा है। किराया वृद्धि होने पर ही शासन के निर्देशों के तहत सीसीटीवी कैमरे व अन्य आधुनिक उपकरण लगा सकते हैं। मांग नहीं पूरी हुई तो छोड़ देंगे यह धंधा खेल परिसर में सेल के दौरान यूनियन ने बसों को बेचने के लिए भोपाल, इंदौर व जबलपुर में डीलरों से बात की और थोक में बसें खरीदने को कहा है। बस संचालकों का कहना था कि यदि शासन बस का किराया नहीं बढ़ाती है तो निश्चित रूप से यह धंधा बंद कर बसें बेच देंगे। संरक्षक जैन ने बताया कि यह सेल लगातार जारी रहेगी।