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प्रतीक्षालय में बैठने नहीं जगह, चाय-पान के टपरे और मनहारी की दुकानों का कब्जा

locationसागरPublished: Oct 21, 2019 02:38:52 pm

Submitted by:

manish Dubesy

प्रतीक्षालय में बैठने नहीं जगह, चाय-पान के टपरे और मनहारी की दुकानों का कब्जा

प्रतीक्षालय में बैठने नहीं जगह, चाय-पान के टपरे और मनहारी की दुकानों का कब्जा

प्रतीक्षालय में बैठने नहीं जगह, चाय-पान के टपरे और मनहारी की दुकानों का कब्जा

प्रशासन नहीं करता कार्रवाई

देवरी कला. नगर के मुख्य बस स्टैंड पर लगातार अव्यवस्थाएं देखने को मिल रही हैं। यात्री प्रतीक्षालय में राहगीरों को बैठने की किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं है। प्रतीक्षालय के अंदर मनहारी की दुकाने एवं पान-चाय के टपरे संचालित किए जा रहे हैं। जिससे यहां आने जाने वाले लोग परेशान होते हैं। इस परिसर में चारों ओर गंदगी पसरी हुई है। इस कारण यात्रियों का बैठना तो दूर पांव रखना भी दूभर हो रहा है। दूसरी ओर प्रतीक्षालय के बाजू में शराब दुकान होने से शाम 6 बजे के बाद माहौल खराब हो जाता है। बस स्टैंड पर जब से यात्री बसों का रूट डायवर्ट किया गया है तब से फलों के ठेले एवं वाहनों की पार्किंग की जा रही है यहां से लोगों का निकलना होता है। जिसको लेकर आमजन में भारी आक्रोश है। बस स्टैंड पर ना तो खड़े होने की जगह बचती है और ना ही बसों के इंतजार करने के लिए यात्री प्रतीक्षालय में किसी प्रकार की व्यवस्था है। पिछले दिनों यात्री बसों के रूट डायवर्ट को लेकर ओम शांति कंपनी की बस अंबेडकर वार्ड की नाली में फंस गई थी जिसे बड़ी मशक्कत के बाद जेसीबी द्वारा निकाला गया था।
सड़क खराब होने के कारण परेशानियां बढ़ रही हैं स्थानीय प्रशासन किसी भी परेशानी को गंभीरता से नहीं ले रहा।
शांति समिति की बैठक में बार.बार बस स्टैंड पर अतिक्रमण हटाए जाने का मुद्दा उठता है परंतु किसी प्रकार की प्रशासनिक कार्रवाई नहीं होती है।
देवरी बस स्टैंड से नागपुर भोपाल जबलपुर रहली गढ़ाकोटा तारादेही तेंदूखेड़ा दमोह इंदौर आदि के लिए बस संचालित होती हैं। वहीं स्थानीय नागरिक सुरेश पटवा, विनोद सोनी, शैलेन्द्र गुप्ता और अमितेंद्र मिश्रा ने बताया कि रात्रि के समय 9 बजे के बाद की जो भी स्लीपर बसें आती है वह नगर के अंदर से आना चाहिए क्योंकि रात्रि के समय शहर में ज्यादा ट्रैफिक नहीं होता और रात्रि वाली स्लीपर बसे अधिकतर नागपुर के लिए जाने वाली होती है जिनमें अधिकतर मरीजों का आना जाना होता है मरीजों के लिए नए रूट से जाकर होना अत्यंत कठिनाई पूर्ण होता है।

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