सागरPublished: Dec 26, 2021 08:47:51 pm
sachendra tiwari
श्रीराम कथा का समापन
बीना. सत्य पर विजय और असत्य की हार श्रीराम कथा का केंद्र बिंदु है, जहां पर अन्याय का प्रतिकार किया जाता है वहीं पर श्रीराम कथा का वाचन सार्थक होता है। यदि अन्याय का प्रतिकार ना हो पाए और सत्य की विजय ना हो पाए तो श्रीराम कथा करने का प्रयोजन ही समाप्त हो जाता है। भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त करके नारी सम्मान की रक्षा करने का ऐतिहासिक कार्य किया था। नारी को सदैव कमजोर, अवला मानकर उपभोग की वस्तु मानना पुरुष वर्ग की बहुत बड़ी भूल है। विश्व में जितने भी युद्ध हुए हैं उनमें नारी को प्रताडि़त किया गया है, लेकिन भगवान श्रीराम ने अपना दूसरा विवाह ना रचाते हुए सीता जी को अयोध्या वापस लाने का संकल्प पूरा किया। यह बात ऐलकश्री सिद्धांत सागर महाराज ने तत्वार्थ श्रीराम कथा के अंतिम दिन विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम की कथा हमारे चरित्र चिंतन को और बदलने वाली है, यदि हम अपने जीवन में कुछ बदलाव नहीं ला पाए तो श्रीराम कथा सुनने का और सुनाने का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है। श्रीराम कथा के माध्यम से व्यक्ति को अपनी बुरी आदतों को बदलने का प्रयास करना चाहिए। हमारी धार्मिक पहचान हम लोग थोड़े से लोभ में पड़कर बदल देते हैं। हम ऊंच-नीच के व्यवहार से समाज को बिखराव की ओर ले जाते हैं, यह हमारी अहिंसा संस्कृति को बहुत बड़ा धक्का देता है। जाति, पंथ से ऊपर उठकर राष्ट्रहित की बात करना होगी और अहिंसक हित की बात करना होगी। अहिंसा ही विश्व शांति का अमोक शस्त्र है, इसके अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है। आरएसएस के सह प्रांतीय प्रचार प्रमुख शिवनारायण पटेल ने कहा कि हमें श्रीराम कथा सुनकर श्रीराम बनना चाहिए। अद्वितीय श्रीराम कथा का आयोजन नगर में हुआ और ऐलकश्री ने बखूबी श्रीराम का चरित्र प्रस्तुत किया। भाजपा जिलाध्यक्ष गौरव सिरोठिया ने कहा कि ऐलकश्री की श्रीराम कथा का भरपूर लाभ सभी ने लिया। ऐसी कथा जैन संत के द्वारा पहली बार सुनी है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजेंद्र सिंह ठाकुर ने विदाई गीत प्रस्तुत किया और आभार मुकेश जैन सैदपुर ने व्यक्त किया।