यह राष्ट्रीय अस्मिता का प्रश्न
कार्यक्रम में डॉ, सुधा मलैया ने जानकारी दी कि कैसे 1528 में मीर बाकी के द्वारा मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने के बाद से 76 युद्ध लड़े गए। हिंदू राम भक्त वहां हमेशा जाते रहे और जन्मभूमि पाने के लिए संघर्ष करते रहे। यह राष्ट्रीय अस्मिता का प्रश्न था। साक्षी पहले भी थे और साक्ष्य 6 दिसंबर को भी मिले। 6 दिसंबर 1992 को जो सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य मिला था वह था 12 वीं शताब्दी का 20 पंक्ति का संस्कृत में लिखा हुआ शिलालेख। डॉ.मलैया ने बताया कि पुरातत्व में अभिलेख अकाट्य प्रमाण होता है किंतु उसे माना नहीं गया किंतु, इसी प्रमाण के आधार पर 2003 की खुदाई की गई जिसमें स्पष्ट से हुआ के ढांचे के नीचे हिंदू भवन की दीवारें मौजूद थीं। कार्यक्रम में पं. विपिन बिहारी, श्याम सराफ , प्रासुक जैन, विहिप के प्रांत संयोजक संजय होलकर, जिला अध्यक्ष अजय दुबे, मनोज जैन, श्रीराम पटेल, प्रेम शंकर दुबे, अनिल तिवारी सहित अनेक लोगा मौजूद थे।