सागर

इन डॉक्टर के पास है हर मर्ज का इलाज, अब हजारों परिवारों के बन गए ये फैमली डॉक्टर

ये तो सच है कि धरती पर भगवान हैं, मगर वो भी इंसान है…जी हां, बात हो रही है धरती के भगवान यानी डॉक्टरों की। ऐसे डॉक्टरों की, जिन्होंने पीडि़त मानवता की सेवा को ही अपने जीवन का ध्येय बनाया। समाज के दबे, कुचले और गरीबों की सेवा लगभग अपना जीवन गुजार दिया।

सागरJul 01, 2021 / 11:06 am

Atul sharma

सागर.ये तो सच है कि धरती पर भगवान हैं, मगर वो भी इंसान है…जी हां, बात हो रही है धरती के भगवान यानी डॉक्टरों की। ऐसे डॉक्टरों की, जिन्होंने पीडि़त मानवता की सेवा को ही अपने जीवन का ध्येय बनाया। समाज के दबे, कुचले और गरीबों की सेवा लगभग अपना जीवन गुजार दिया। आज के डॉक्टरों के लिए न केवल ये मिसाल है, बल्कि यह उदाहरण भी कि यदि अपने काम का भरपूर लुत्फ उठाएं तो मरीजों के इलाज के बाद खिले चेहरें व उनकी दुआएं उन्हें भगवान का दर्जा पाने से नहीं रोक सकती? वर्षों से सेवा करने वाले डॉक्टर लोगों के लिए अब पारिवारिक डॉक्टर बन गए हैं। कोई भी दर्द हो लोग इनके पास दौड़े चले आते हैं। ये डॉक्टर भी २४ घंटों में से करीब १२ घंटे लोगों की सेवा के लिए देते हैं।
३५ वर्षों में बन गए लोगों के परिवार का हिस्सा
बड़े बाजार में डॉ. मुरारी लाल सोनी ३५ वर्षों से लोगों की सेवा कर रहे हैं। आज भी ३० रुपए लेकर उपचार करते हैं। इनके पास में बड़ा बाजार, लक्ष्मीपुरा, मोहन नगर, गांधी चौक, इतवारी टौरी सहित शहर के १० वार्ड के मरीज रोजाना पहुंचते हैं। सर्दी, खांसी, बुखार,त्वचा रोग, मलेरिया, पीलिया जैसे सभी रोगों का उपचार डॉ. मुरारी करते हैं। डॉ. मुरारी हर दिन १० घंटे अपनी सेवाएं दे रहे हैं और १०० से ज्यादा मरीजों का उपचार करते हैं। किसी के परिवार में कोई बीमारी आ जाए तो शहर के पुराने डॉ. मुरारी को याद करते हैं। लोग अपना इन्हें फैमली डॉक्टर मानते हैं और कोई बड़ी बीमारी पर सलाह भी लेते हैं। अभी कोरोना की दूसरी लहर आई तो लोगों का उपचार करना नहीं छोड़ा। डॉ. मुरारी बताते हैं कि उन्होंने अपने कई मरीजों को फोन पर भी परामर्श दिया। उन्होंने बताया कि लोगों की दुआएं उनके लिए ज्यादा मायने रखती हैं, इसलिए कभी ज्यादा फीस लेने का भी ख्याल नहीं आया।
६५ वर्ष की उम्र में १२ घंटे दे रहें अपनी सेवाएं
काकागंज जैन मंदिर के सामने डॉ. अश्विन रेजा ३५ वर्षों से अपनी सेवाएं लोगों के लिए दे रहे हैं। ६५ साल की उम्र में भी ये अपने मरीजों की देखरेख करते हुए नहीं थकते हैं। डॉ. रेजा आर्युवेदिक और एलोपैथिक दोनों तरह से उपचार करते हैं। डॉ. रेजा ने बताया कि कई परिवार ऐसे हैं जो वर्षों से जुड़े हैं। यदि मुझसे जुड़े लोगों मेरी जरूरत होती है तो घर पर भी जाकर उपचार करता हूं। सुबह १० बजे से १२ बजे मैं अपने घर पर ही मरीजों के लिए देखता हूं। उसके बाद १२ बजे से ६ बजे तक काकागंज क्लिनिक पर रहता हूं। करीब शहर ५ वार्ड के मरीज क्लिनिक पर आते हैं और परामर्श शुल्क ३० रुपए है। उन्होंने बताया कि ५ रुपए परामर्श शुल्क पर मरीजों का उपचार किया है और अभी ३० रुपए लेते हैं।

गांव-गांव जाकर कर रहे हैं मरीजों की देखरेख
ढाना में मरीजों का उपचार कर रहे डॉ. नरेश चंद्र जैन गांव-गांव जाकर मरीजों का उपचार करते हैं। करीब ४० गांव के लिए ये पारिवारिक डॉक्टर हैं। डॉ. जैन के पिता गुलाब चंद जैन स्वंत्रता संग्राम सेनानी थे। साथ ही अच्छे वैद्य थे। उन्हीं से डॉ. नरेश ने प्रेरणा ली और अपना मरीजों गरीबों की सेवा के लिए लगाया। नरेश जैन न सिर्फ मरीजों का उपचार करते हैं बल्कि गरीब लोगों के लिए नि:शुल्क दवाई देते हैं। पिता भी नि:शुल्क लोगों का उपचार करते हैं, इसलिए जैन भी नाम मात्र फीस पर मरीजों का उपचार करते हैं।

दिल्ली से अपने शहर लौटी, अब यहां हर माह लगा रही नि:शुल्क कैंप
कस्तूरबा अस्पताल दिल्ली में सेवाएं देने के बाद लौटी एमबीबीएस और एमस डॉ. प्रिंयका गुप्ता अब सागर में सेवाएं दे रही हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. गुप्ता पिछले एक साल से सागर में ही हैं और एक साल में ६ से अधिक नि:शुल्क कैंप लगाकर महिलाओं का उपचार कर चुकी हैं। डॉ. प्रियंका महिलाओं को स्वास्थय के प्रति जागरूक करने का काम कर रही हैं। डॉ. प्रियंका ने बताया कि उन्होंने दिल्ली में कई अस्पतालों प्रैक्टिस की और उसके बाद किसी छोटे शहर में प्रैक्ट्रिस करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि कोविड की वजह से नि:शुल्क कैंप प्रभावित हुए हैं। अब आगे हर माह दो नि:शुल्क कैंप लगाने की प्लानिंग चल रही है।

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