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World Heritage Day: भारतीय कला, संस्कृति व अध्यात्म का अद्वितीय उदाहरण है यह क्षेत्र

World Heritage Day: एरण में स्थित है भारत की सर्वाधिक उंचाई की 1600 वर्ष पुरानी प्रतिमाएं

सागरApr 18, 2022 / 05:42 pm

अभिलाष तिवारी

World Heritage Day: भारतीय कला, संस्कृति व अध्यात्म का अद्वितीय उदाहरण है यह क्षेत्र

World Heritage Day: भारतीय कला, संस्कृति व अध्यात्म का अद्वितीय उदाहरण है यह क्षेत्र

सागर. एरण बीना तहसील में स्थित मध्यभारत का प्राचीनतम पुरास्थल है। एरण पुरास्थल भारतीय हिन्दू धर्म कला, संस्कृति एवं अध्यात्म के संरक्षक के रुप में हजारों सालों से अपनी अहम भूमिका निभाता आ रहा है। एरण में गुप्तकाल में भगवान विष्णु के दस अवतारों की अनेक प्रतिमाएं देखी जा सकती हैं। यहां विष्णु के मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, रामावतार, कृष्ण एवं बुद्ध अवतार की प्रतिमाएं भी मिली हैं। एरण पुरास्थल पर भारत की सर्वाधिक ऊंचाई की विष्णु के अवतारों की अनेक प्रतिमाएं है, इनमें पशुवराह, नृवराह एवं महाविष्णु की प्रतिमाएं उल्लेखनीय है। एरण पुरास्थल पर भारत की सबसे प्राचीन ताम्रपाषाणकालीन सुरक्षा दीवार एवं खाई यह दीवार लगभग एक किलोमीटर लंबी, 5 मीटर चौड़ी व 7 मीटर उंचाई की बनी थी। खाई की गहराई 3.7 मीटर और चौड़ाई 6 मीटर थी।

प्राचीन काल में मथुरा से प्राचीन भृगुकच्छ वर्तमान भड़ौच तक जाने वाले प्रमुख व्यापारिक राजमार्ग पर स्थित होने के कारण एवं सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण होने से गुप्तकाल के राजाओं ने इसे अपनी मध्यभारत की क्षेत्रीय राजधानी एवं सैनिक छावनी बनाया था। उसने यहां एक भारत का विशाल विष्णु मंदिर का निर्माण करवाया था। पूर्व में किए गए एरण उत्खनन में समुद्रगुप्त के बड़े बेटे रामगुप्त के अनेक सिक्के भी मिले हैं।
एरण में मिले हैं भारत के पांच महत्वपूर्ण अभिलेख

एरण पुरास्थल के महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां से भारत के पांच महत्वपूर्ण अभिलेख मिले हैं। पहला अभिलेख शक शासक श्रीधरवर्मा का अभिलेख, दूसरा समुद्रगुप्त का अभिलेख, तीसरा बुद्धगुप्त का अभिलेख़ चौथा भानुगुप्त के सेनापति गोपराज की पत्नी के सती होने व भारत का प्रथम सती स्तम्भ ल़ेख पांचवां हूण शासक तोरमाण का एरण अभिलेख प्रमुख हैं। इनके आलावा प्राचीनकाल, मध्यकाल, आधुनिक काल के अनेक सती स्तम्भ लेखों से एरण का महत्व उद्घटित होता है।
एरण पुरास्थल से मिलीं हैं प्राचीन विशाल प्रतिमाएं

एरण से भगवान विष्णु की 14 फीट ऊंचाई व 5 फीट चौड़ाई की प्रतिमा की प्रतिमा मिलती है। इसका उल्लेख समुद्रगुप्त के एरण अभिलेख में मिलता है। यहां से भगवान पशुवराह की प्रतिमा 14 फीट लंबी,12 फीट ऊंचाई व 6 फीट मोटाई की प्रतिमा मिलती है। इस प्रतिमा पर गुप्तकालीन लिपि में लेख लिखा है। इसमें वराह मंदिर की स्थापना की जानकारी है। एरण में स्थित 484 ईस्वी में बना 50 फीट ऊंचाई का विशालतम गरुड़ स्तम्भ भारतीय कला संस्कृति का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह प्रतिमाएं एवं गरुड़ स्तम्भ भारत की विशालतम एवं प्राचीनतम कला के प्रमाण प्रस्तुत करता है। भारत में इतनी विशाल प्रतिमाएं किसी पुरास्थल से नहीं मिली हैं।
पुरातत्ववेत्ताओं का मानना है कि एरण में गुप्तकाल के अनेक मंदिर मिलते हैं। यहां विश्व व भारत की विशालतम विष्णु के अवतारों की प्रतिमाएं मिलती हैं। यह प्रतिमाएं भारत की प्राचीनतम एवं प्रारंभिक मूर्तिकला की जानकारी देने वाली अद्वितीय प्रतिमाएं मानी जाती हैं। यहां गढ़ी क्षेत्र में मुगलकाल में बने दांगी शासकों के किले के स्थापत्य कला के प्रमाण है। एरण प्राचीन भारतीय हिन्दू कला संस्कृति आध्यात्म को समझनें में महत्वपूर्ण है।
जिले में चारों ओर बिखरी है पुरा संपदा

पुरातत्ववेत्ताओं का कहना है कि जिले में चारों ओर पुरातत्व महत्व की चीजें बिखरी हुईं हैं। प्राचीन कुआं, बावडिय़ों का जाल बिछा हुआ है। रहली का सूर्य मंदिर, आपचंद की गुफाएं, राहतगढ़ का किला समेत कई ऐसे क्षेत्र हैं, जो पुरा संपदा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं।
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