इस नगर में ढाई सौ साल से चली आ रही यह परंपरा
जगन्नाथ रथ यात्रा निकलने के दूसरे दिन से यात्रा वापस आने तक होते हैं भगवान के निमंत्रण एकादशी के दिन होती है महाआरती

गढ़ाकोटा .नगर में आषाढ़ सुदी दोज को भगवान जगन्नाथ स्वामी की यात्रा नगर में बड़े धूमधाम से निकाली गई। यात्रा नगर के जगदीश मंदिर पटेरिया से शुरू होकर जनकपुरी मंदिर में समाप्त हुई। तीन रथों में ताल ध्वज पर बलदाऊ भैया, देव दलन रथ पर सहोदरा मैया एवं नंदीघोष पर भगवान जगदीश स्वामी निकलते हैं। उनकी अगवानी जनकपुरी मंदिर के लंबरदार परिवार के गोपाल कृष्ण नायक एवं उनका पूरा परिवार करीब ढाई सौ बरसों से करता आ रहा है। भगवान जगन्नाथ स्वामी की जनकपुरी मंदिर में अगवानी के दूसरे दिन नायक परिवार भगवान के भोग के लिए पक्की पंगत का आयोजन करता है। इसमें यात्रा देखने वालों के अलावा जगदीश मंदिर में पधारे सभी संत शामिल
होते हैं। दूसरे दिन जगदीश मंदिर गढ़ाकोटा में कच्ची पंगत रखी जाती है जिसमें दाल चावल कढ़ी पुरी, पापड़, मिष्ठान, रोटी का भोजन समस्त संत महंतों एवं नगर के लोगों को करवाया जाता है। उसके बाद तीसरे दिन से नगर के भक्तों द्वारा भगवान जगदीश स्वामी का घर घर निमंत्रण किया जाता है। करीब 15 दिन रुक कर भगवान जगन्नाथ सावन के प्रथम सोमवार को वापस जगदीश मंदिर पहुंचते हैं।
इन 15 दिनों के बीच में नगर में जनकपुरी मंदिर में कॉफी चहल पहल एवं धार्मिक माहौल बना रहता है। पूरा नगर शाम सुबह भगवान जगन्नाथ स्वामी के दर्शन के लिए जनक पुरी पहुंचता है।
एकादशी के दिन महा आरती के लिए क्षेत्र के लोगों की भारी भीड़ आरती देखने जनकपुरी मंदिर पहुंचती है। ढाई सौ बरसों से यह परंपरा चल रही है।
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