कॉलर आइडी के सिग्नल से नहीं मिली मदद
बताया गया है कि बाघ किशन को कॉलर आइडी लगाई गई थी। जिससे सिग्नल तो मिल रहे हैं। लेकिन, लोकेशन ट्रेस नहीं हो पा रही है। सूत्रों ने बताया कि सिग्नल को फॉलो करते हुए कुछ जगहों पर हाथी सवार दल गया था। लेकिन बाघ नजर नहीं आया। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि कहीं जंगल में बाघ के गले से कॉलर आइडी किसी पेड़ पर उलझ तो नहीं गई है। ऐसा पहले राधा बाघिन के साथ हो चुका है।
पहले भी हो चुकी एेसी घटना
बांधवगढ़ से लाए बाघ को 29 अप्रैल 2018 को नौरादेही अभयारण्य लाकर वन विभाग द्वारा तैयार किए बाड़े में छोड़ दिया गया। लेकिन यहां पर वह एक दिन भी नहीं रुका और बाड़े की जाली तोड़ जंगल में भाग गया। इसके बाद बीते एक-डेढ़ साल में करीब दो से तीन बार बाघ के गुम होने की जानकारी लगी है, हालांकि कॉलर आइडी से मिले सिग्नल की मदद से पिछले दफा बाघ को ढूढ लिया गया था।
अभयारण में ही है
बाघ किशन के गुम होने की कोई बात ही नहीं है। वह अभयारण में ही है। लगातार मानीटरिंग की जा रही है।
नवीन गर्गए डीएफओ नौरादेही