विदेशी कपड़ो का किया था बहिष्कार तिली स्थित कॉलोनी में महिलाओं ने स्वतंत्रता दिवस के दिन खादी पहनने का संकल्प लिया। समाजसेवी एवं लेखिका सुनिला सराफ ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान खादी को महात्मा गांधी ने विदेशी कपड़ों के बहिष्कार के रूप में अपनाया था। खादी पहनना एक तरह से उन संघर्षशील दिनों को याद करना और आजादी के लिए हमारे पूर्वजों के बलिदानों को सम्मानित करना है। शशी जैन ने कहा कि खादी पूरी तरह से स्वदेशी है और इसे स्थानीय कारीगरों द्वारा हाथ से बुना जाता है। प्राकृतिक कपड़ा है, जिसे तैयार करने में किसी भी प्रकार के हानिकारक रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता। यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है।
खादी पहनने का किया संकल्प कॉलोनी की महिलाओं ने खादी का पहनना का संकल्प लिया। पुष्पा प्रजापति, कजली जैन, अंजली तिवारी, सीमा चौउदा, सुनीला सराफ, तारा साहू, रिम्मी केशरवानी एवं सुधा पाल ने भी खादी पहनने की शपथ ली। महिलाओं ने कहा कि उत्साह के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे और खादी की साड़ी पहनेंगे।
खादी पहनकर भेजें सेल्फी पत्रिका द्वारा 77वें स्वतंत्रता दिवस पर ‘एक दिन खादी के नाम अभियान चलाया जा रहा है। यह दिन हम उन हस्तशिल्पियों और बुनकरों को समर्पित करना चाहते हैं जिनके हाथ चरखा चलाकर सूत कातते हैं। पत्रिका सभी से आव्हान करती है कि 15 अगस्त को आइए हम सभी खादी के बनें कपड़े पहने और स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल हों। आप हमें खादी कपड़ा पहनकर सेल्फी भी भेजें। चुनिंदा फोटो हम पत्रिका में प्रकाशित करेंगे।