करें छिड़काव
तना मक्खी या फिर गर्डल बीटल का प्रकोप हो रहा है वहां फसल पर ट्राइजोफास 40 ईसी 1000 मिली लीटर अथवा थायोक्लोप्रिड 21.6 एसएल 650 मिली लीटर को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर के मान से छिड़काव करें। मूंग व उड़द की खड़ी फसल में जहां पीली चितेरी रोग, झुर्रीदार पत्ती रोग या पर्ण कुंचन रोग का प्रकोप हो वहां रोग से प्रभावित पौधों को उखाड़ कर जमीन में लगा देना चाहिए और इमिडाक्लोप्रिड का 500 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।
सब्जियां की फसल को सुरक्षित करने इनका करें उपयोग
खरीफ में लगाई जाने वाली सब्जियों बैंगन, टमाटर, मिर्च, अदरक आदि को मेड़ बनाकर रोपण पूर्व कार्बेन्डाजिम अथवा कार्बोक्सिन थायरम की 2-3 ग्राम मात्रा को जल में घोलकर जड़ों का उपचार कर रोपित करें। सभी प्रकार की सब्जियों में रसचूसक कीट सफेद मक्खी, थ्रिप्स आदि से बचाव के लिए पीले, नीले चिपचिपे प्रपंचों को 150 प्रति हेक्टेयर के मान से लगाऐं। भिंडी, मिर्च, टमाटर आदि सब्जियों में रसचूसक कीटों के नियंत्रण के लिए थायोक्लोप्रिड 21.6 एसएल की 500 मिली मात्रा अथवा ऐसीटामिप्रिड की 150 ग्राम मात्रा प्रति हैक्टेयर के मान से छिड़काव करें व प्रत्येक छिड़काव के साथ घुलनशील गंधक को 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ अवश्य मिलाएं।
कद्दूवर्गीय सब्जियों गिलकी, लौकी आदि में डाडनी मिल्डयू रोग व अन्य पर्ण दाग रोगों के नियंत्रण के लिए क्लोरोथेलोनिल अथवा थियोफिनेट मिथाइल की 200 ग्राम मात्रा 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के मान से छिड़काव करें।