scriptतना मक्खी, गर्डल बीटल सहित अन्य रोगों से फसल को बचाने किसान इन दवाओं का करें उपयोग | Told to the farmers Measures to protect crops | Patrika News

तना मक्खी, गर्डल बीटल सहित अन्य रोगों से फसल को बचाने किसान इन दवाओं का करें उपयोग

locationसागरPublished: Jul 27, 2018 04:47:22 pm

खरीफ फसल में कीटों का प्रकोप और खरपतवार ने किसानों की मुसीबत बढ़ा दी हैं। फसल में बढ़ रहे प्रकोपों को का सीधा असर उपज पर आता है।

Told to the farmers Measures to protect crops

Told to the farmers Measures to protect crops

सागर. खरीफ फसल में कीटों का प्रकोप और खरपतवार ने किसानों की मुसीबत बढ़ा दी हैं। फसल में बढ़ रहे प्रकोपों को का सीधा असर उपज पर आता है। इस बात को लेकर किसानों के माथे पर भी चिंता की लकीरें नजर आने लगी हैं, लेकिन यदि किसान समय रहते और विशेषज्ञों की सलाह के अनुरूप उपचार कर लें तो वे अपनी फसल को सुरक्षित कर सकते हैं।
इस संबंध में कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. केएस यादव के मार्गदर्शन में जिले के किसानों को सोयाबीन, उड़द, अरहर, मूंग आदि फसलों के लिए डॉ. एके त्रिपाठी, वैज्ञानिक-पौध संरक्षण द्वारा वर्तमान परिस्थितियों की जानकारी किसानों की दी है।
उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में अधिक बारिश हुई है, वहां पर सोयाबीन के खेत में जलभराव न होने दें, साथ ही सब्जियों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें। बोई गई फसल में नमी संरक्षण के लिए डोरा अथवा कुल्फा चलाकर खरपतवार नियंत्रण करें। रासायनिक नियंत्रण के लिए सोयाबीन की फसल में सकरी व चौड़ी पत्ती के खरपतवारों की रोकथाम के लिए पूर्व मिश्रित खरपतवारनाशी इमिजाथाइपर 35 व इमिजामोक्स 35 की 100 ग्राम अथवा फ्लूजिफॉफब्यूटाइल 11.1 व फोमेक्साफेन 11.1 की 1 लीटर मात्रा 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर छिड़काव करें। उडद में नींदा नियंत्रण के लिए खरपतवारनाशी इमिजाथाइपर 10 प्रतिशत की 750 मिली मात्रा प्रति हैक्टेयर के मान से छिड़काव करें। जिससे फसलों की पैदावार प्रभावित नहीं होगी और उत्पादन भी अच्छा होगा

करें छिड़काव
तना मक्खी या फिर गर्डल बीटल का प्रकोप हो रहा है वहां फसल पर ट्राइजोफास 40 ईसी 1000 मिली लीटर अथवा थायोक्लोप्रिड 21.6 एसएल 650 मिली लीटर को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर के मान से छिड़काव करें। मूंग व उड़द की खड़ी फसल में जहां पीली चितेरी रोग, झुर्रीदार पत्ती रोग या पर्ण कुंचन रोग का प्रकोप हो वहां रोग से प्रभावित पौधों को उखाड़ कर जमीन में लगा देना चाहिए और इमिडाक्लोप्रिड का 500 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।
सब्जियां की फसल को सुरक्षित करने इनका करें उपयोग

खरीफ में लगाई जाने वाली सब्जियों बैंगन, टमाटर, मिर्च, अदरक आदि को मेड़ बनाकर रोपण पूर्व कार्बेन्डाजिम अथवा कार्बोक्सिन थायरम की 2-3 ग्राम मात्रा को जल में घोलकर जड़ों का उपचार कर रोपित करें। सभी प्रकार की सब्जियों में रसचूसक कीट सफेद मक्खी, थ्रिप्स आदि से बचाव के लिए पीले, नीले चिपचिपे प्रपंचों को 150 प्रति हेक्टेयर के मान से लगाऐं। भिंडी, मिर्च, टमाटर आदि सब्जियों में रसचूसक कीटों के नियंत्रण के लिए थायोक्लोप्रिड 21.6 एसएल की 500 मिली मात्रा अथवा ऐसीटामिप्रिड की 150 ग्राम मात्रा प्रति हैक्टेयर के मान से छिड़काव करें व प्रत्येक छिड़काव के साथ घुलनशील गंधक को 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ अवश्य मिलाएं।
कद्दूवर्गीय सब्जियों गिलकी, लौकी आदि में डाडनी मिल्डयू रोग व अन्य पर्ण दाग रोगों के नियंत्रण के लिए क्लोरोथेलोनिल अथवा थियोफिनेट मिथाइल की 200 ग्राम मात्रा 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के मान से छिड़काव करें।

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