-जेएनयू से हुई शुरुआत
सरकार सार्वजनिक वित्त पोषित संस्थानों को ७० फीसदी ही वित्त मुहैया कराएगी, बाकी ३० फीसदी वित्त का इंतजाम संस्थान को खुद करना होगा। हेफा से अनुबंध के बाद अब यूजीसी यह राशि नहीं देगी। बता दें कि सरकार ने देश के ४७ केंद्रीय विश्वविद्यालयों में इसे लागू कर दिया है। इसकी शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय (जेएनयू) से हुई है, जिसका विरोध भी जेएनयू में विद्यार्थियों द्वारा किया जा रहा है। हालांकि डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय को ऋण की राशि पूरी वापस नहीं करनी होगी। बताया जाता है कि कर्ज की १० फीसदी राशि वापस लौटानी होगी।
-६ करोड़ ६० लाख का कर्ज
विवि में इडब्ल्यूएस छात्रों के लिए भवन और पद स्वीकृत किए गए हैं। यह पूरा काम हेफा के अंडर में है। ७२ करोड़ रुपए की राशि मंजूर हो चुकी है। इसें ६६ करोड़ रुपए बिल्डिंग निर्माण पर खर्च होना है। हालांकि यह राशि हेफा के माध्यम से दी जाएगी। विवि प्रशासन को यह राशि चयनित बैंक से ऋण के रूप हेफा उपलब्ध कराएगा। १० फीसदी राशि यानी ६ करोड़ ६६ लाख रुपए वापस बैंक को लौटाने होंगे।
-यह भी होने की आशंका
विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की बढ़ाई जा सकती है कोर्स फीस
परिसर में मॉल या फिर मेरिज गार्डन बनाकर चलाए जा सकते हैं किराए पर।
सेल्फ फाइनेंस कोर्स की फीस में इजाफा के बाद हॉस्टल फीस भी बढ़ सकती है।
बिल्डिंग निर्माण के लिए यूजीसी ग्रांट देती थी, लेकिन अब उसकी जगह हेफा से राशि मिलेगी। यह राशि बतौर ऋण के रूप में दी जाएगी। इसमें १० फीसदी राशि का भुगतान विवि को करना है। विवि अपनी आय बढ़ाने के लिए कुछ प्लान पर काम कर रहा है। इससे छात्रों की कोर्स फीस न बढ़ानी पड़े।
प्रो. आरपी तिवारी, कुलपति विवि