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असल जिंदगी में साकार किया वैलेंटाइन

locationसागरPublished: Feb 13, 2020 07:59:38 pm

वैलेंटाइन डे पर खास

सागर. प्यार, इश्क और मोहब्बत। इन शब्दों को सुनते ही प्यार करने वालों की धड़कने तेज हो जाती हैं। कहते हैं प्यार का अहसास दुनिया की हर खुशी से बड़ा होता है। दो प्यार करने वाले अपने साथ के लिए कुर्बानी देने भी तैयार रहते हैं। सच्चा प्यार धर्म, समाज की परम्पराओं से भी जीत जाता है। प्यार किसी जाति धर्म को नहीं मानता है। इस वैलेंटाइन डे के मौके पर हम बता रहे हैं खास प्रेम की कहानियां –
काम करते-करते जुड़ गए दिल
थियेटर में नाटक करते-करते दो प्यार करने वाले दिलों की प्रेम कहानी बन गई। ये हैं डॉ. आलोक चौबे और प्रिया जैन की। आलोक अब स्वच्छ भारत मिशन के संभागीय अधिकारी हैं। वे बताते हैं कि दोनों को वर्ष २००४ में ही पता चल गया कि एक-दूजे से प्यार हो गया है। फिर एक दशक बाद १८ नवंबर २०१३ को शादी के बंधन में बंधे। दोनों की जाति अलग होने की वजह से पहले तो परिवार का सहयोग नहीं मिला लेकिन शादी के बाद स्थिति बदल गईं। उन्होंने बताया शादी के समय परिवार का साथ न मिलने से भोपाल में वैदिक रिती रिवाज के अनुसार शादी की। उस समय शादी में २०० लोग शामिल हुए, जिनमें में कुछ ही लोगों को जानता था। उन्होंने बताया कि सागर में अन्वेंषण थियेटर ग्रुप से प्रिया और मैं जुड़े हुए थे, और दोनों नाटक करते थे। यहीं से प्रेम कहानी शुरू हो गई। अब दोनों लोग कई सामाजिक संस्थानों से भी जुड़े हैं। आलोक कहते हैं प्यार मुश्किल या आसान नहीं होता है, प्यार तो प्यार होता है। खास बात यह है कि प्रिया शादी के बाद भी जैन ही लिखती हैं। अब जल्द की आलोक-प्रिया नाम से एक पुस्तक भी प्रकाशित होने वाली है, जिसमें हमारे प्रेम के इर्द-गिर्द होगी। अब मेरा ५ वर्ष का बेटा अद्वय और २ माह की बेटी अद्विका है।
प्यार में अमेरिका की बेटी बनी सागर की बहू

रोहित सहाय और रेचल बरूनर वर्ष २०१७ में विवाव के बंधन में बंधे। रोहित सागर के निवासी और रेचल अमेरिका में रहने वाली हैं। रोहित ने फोन पर बताया कि मैं अमेरिका में पढ़ाई करने के लिए गया था, यहीं विवि में रेचल से मुलाकात हुई। यह मुलाकात पहले दोस्ती में बदली। रेचल के लिए भारत अधिक पसंद था। वो हमारी दोस्ती के पहले इंडिया में तीन माह रहकर गई थी। यहां की संस्कृति से काभी प्रभावित थी। और यह वजह रही कि वो मुझसे भी प्यार करने लगी। शादी के छ: माह बाद ही हमारी शादी हो गई। अभी में निजी कंपनी में जॉब कर रहा हूं और रेचल यूएस में स्कूल में पढ़ाती हैं। हमारी शादी में परिवार को सहयोग मिला क्योंकि मेरा पिता आलोक सहाय और नीरा सहाय की शादी भी लव मेरिज ही थी। मैंने भारतीय रिति रिवाजों से दिसंबर २०१७ में शादी की। शादी सागर में ही हुई थी।
गहरी दोस्ती के बाद हुआ प्यार, जुड़ गए दिल

कलाकार अतुल श्रीवास्तव और रचना तिवारी भी प्यार के बाद शादी के बंधन में बंधे। अतुल बताते हैं कि रचना को पहली बार स्काउट गाइड के केंप नरसिंहगढ़ (दमोह) में देखा था जहां ये अपनी मां के साथ गईं थीं ,और में स्वीडिश मिशन स्कूल से गया था, तब में आठवीं क्लास में था। पर हमारी मित्रता 1995 से गहरी हुई, लोक कलाओं में हम दोनों की ही रुचि थी, और ये अच्छी कलाकार थीं, सो इस दिशा में काम करते करते एक दूसरे के प्रति रुझान बड़ता गया और एक दूसरे को समझने का मौंका मिला। जब विवाह की बात आयीं तो मेरे घरवालों की तो रजामंदी थी, जब मैनें इनकी माताजी से बात की तो पहले वो राजी नहीं हुईं, फिर बाद में वो मान गईं और हमारी लव मैरिज एक तरह से अरैंज मैरिज में बदल गई। आज हमारे विवाह को ग्यारह वर्ष हो गये हैं, हमारे बहुत प्यारे दो बच्चे है। हम आज भी वो प्यार भरे अनगिनित बीते लम्हें इन्जॉय करते है, जिंदगी के इस सुहाने सफर में सुख दुख की चोटों को एक साथ सहते हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश है, और अपने आपको बहुत खुशकिस्मत मानते हुए अपने अपने कार्य क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहे है।
क्यों मनाया जाता है वैलेंटाइन डे
ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन नाम की पुस्तक के मुताबिक रोम के एक पादरी थे संत वैलेंटाइन। वो दुनिया में प्यार को बढ़ावा देने में मान्यता रखते थे। उनके लिए प्रेम में ही जीवन था। लेकिन इसी शहर के एक राजा क्लॉडियस को उनकी ये बात पसंद नहीं थीं। राजा को लगता था कि प्रेम और विवाह से पुरुषों की बुद्धि और शक्ति दोनों ही खत्म होती हैं। इसी वजह से उसके राज्य में सैनिक और अधिकारी शादी नहीं कर सकते थे।
हालांकि, संत वैलेंटाइन ने राजा क्लॉडियस के इस आदेश का विरोध किया और रोम के लोगों को प्यार और विवाह के लिए प्रेरित किया। इतना ही नहीं, उन्होंने कई अधिकारियों और सैनिकों की शादियां भी कराई। इस बात से राजा भड़का और उसने संत को फांसी पर चढ़वा दिया। उस दिन से हर साल इसी दिन को प्यार के दिन के तौर पर मनाया जाता है
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